पांच महीने बाद केरल में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और भाजपा ने अपना नया अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है। ये हैं कुम्मन्नम राजशेखरन। केरल में सबसे कट्टर हिंदू चेहरा। पहली बार पार्टी में बड़ा पद संभालने वाले राजशेखरन पब्लिक फिगर तब ही बने थे, जब उन्होंने मंदिर के पास चर्च बनाने की ईसाइयों की कोशिश के खिलाफ कड़ा रुख अख्तिायार किया था। पूर्णकालिक प्रचारक के रूप में उन्होंने 35 साल में आरएसएस और वीएचपी को मजबूत करने में अहम रोल निभाया है। हिंदुत्व की राजनीति के अलावा राजशेखरन मंदिर, मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण, इस्लाम व ईसाइयत का विरोध जैसे मुद्दों पर राजनीति करते हैं।
राजशेखरन हिंदू एक्य वेदी (एचएवी) के महासचिव रहे हैं। एचएवी हिंदू संगठनों का एक समूह है। इसकी स्थापना 1992 में हुई थी। राजशेखरन 1983 में निलक्कल में हिंदू-ईसाई संघर्ष के बाद बड़े पैमाने पर चर्चा में आए थे। वहां महादेव मंदिर के पास क्रॉस पाने का दावा करते हुए ईसाइयों ने चर्च बनाने की घोषणा की। राजशेखरन तब विहिप के राज्यस्तरीय नेता हुआ करते थे। उन्होंने इस मुद्दे पर आक्रामक तेवर दिखाए। इसी के बाद वह पब्लिक फिगर बन गए। उन्होंने तमाम हिंदू संगठनों को मिला कर निलक्कल एक्शन काउंसिल बनाया और इसके जेनरल कनवीनर बने।
1980 के दशक में जब ऊंची जाति नायर और पिछड़ी जाति एझवा के वर्चस्व वाली राजनीतिक पार्टियों का कद घटा तो राजशेखरन ने हिंदू मोर्चा बना लिया। 1987 के विधानसभा चुनाव में वह हिंदू मोर्चा के टिकट पर तिरुअनंतपुरम ईस्ट से लड़े और दूसरे नंबर पर आए। एलडीएफ और यूडीएफ के लिए यह बड़ा झटका था।
2003 में जब कोझिकोड के मराड में आठ हिंदू मछुआरों की हत्या कर दी गई तो राजशेखरन ने संघ परिवार की ओर से मोर्चा संभाला। पीड़ितों के लिए मुआवजे और घटना की न्यायिक जांच की मांग की। इस मामले में कई भाजपा नेताओं पर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के झांसे में आ जाने का आरोप लगा, लेकिन राजशेखरन हिंदुओं के लिए लड़ने वाले योद्धा के रूप में उभरे। अरनमुला में श्री पार्थसारथी मंदिर के पास एयरपोर्ट बनाने का प्रस्ताव आया तो इसका विरोध कर उन्होंने एक बार फिर खुद को हिंदुओं के लिए लड़ने वाले नेता के रूप में स्थापित किया।
राजशेखरन का जन्म कोट्टायम जिले के कुम्मनम गांव में हुआ। वह ऊंची जाति (नायर) के परिवार में जन्मे। आरएसएस से उनका जुड़ाव स्कूल के दिनों में ही हो गया। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने पत्रकारिता में डिप्लोमा किया। 1974 में उन्होंने कैथोलिक दैनिक दीपिका में बतौर पत्रकार नौकरी की। 1976 तक वह कुछ और अखबारों में नौकरी करते रहे। 1976 में उन्होंने फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में नौकरी पा ली। तीन साल बाद वीएचपी में वह कोट्टायम जिले के सेक्रेटरी बनाए गए। 1981 में राज्य के संयुक्त सचिव और 1996 में संगठन सचिव बने। इस बीच 1987 में उन्होंने एफसीआई की नौकरी छोड़ दी थी और आरएसएस के पूर्णकालिक प्रचारक बन गए थे।