दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र से जवाब मांगा है कि वे राज्य जिनमें हिंदू ‘अल्पसंख्यक’ हैं क्या वे अल्पसंख्यकों को मिले अधिकारों से वंचित हैं। बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनावई करते हुए हाई कोर्ट ने गृह मंत्रालय, कानून- न्याय और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय से इसपर जवाब मांगा है।

याचिका में कहा गया है कि नौ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश जिनमें हिन्दू हैं अल्पसंख्यक, फिर भी उन्हें अल्पसंख्यक समुदाय को दिए गए अधिकार से क्यों वंचित किया जा रहा है।इन राज्यों की बहुसंख्यक आबादी सारे लाभ ले लेती है। बीजेपी नेता ने कहा है कि लद्दाख, मिजोरम, लक्ष्यदीप, कश्मीर, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब और मणिपुर में हिंदू आबादी को भी यह लाभ मिलने चाहिए।

चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस सी हरि शंकर की बेंच ने याचिका पर अपना पक्ष रखने के साथ-साथ केंद्र से ‘अल्पसंख्यक’ शब्द को ‘परिभाषित’ करने और राज्य स्तर पर उनकी पहचान के लिए गाइडलाइन तैयार करने के लिए कहा है।

बीजेपी नेता ने याचिका में इस मांग के के लिए एक तर्क भी दिया है। उन्होंने कहा है कि नेशनल लेवल पर हिंदू भले ही बहुसंख्यक हैं पर नौ राज्यों-यूटी में वे अल्पसंख्यक हैं, इसलिए उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा मिले। कोई राज्य में अल्पसंख्यक है या नहीं इसका निर्धारण उस समुदाय की जनसंख्या को देखते हुए होना चाहिए।

इसके लिए कोर्ट राज्यों को नियम बनाने के लिए निर्देश दे। उन्होंने याचिका में कोर्ट से राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग एक्ट 1992 की धारा 2 (सी) को असंवैधानिक घोषित करने पर विचार करने के लिए कहा है। अब इस मामले पर 4 मई को अगली सुनवाई होगी। बता दें इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए मना करते हुए बीजेपी नेता से हाई कोर्ट में अपनी बात रखने के लिए कहा था।