कोलकाता। हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक के तौर पर दोनों समुदाय की लड़कियों के एक समूह ने मानव तस्करी की शिकार महिलाओं के लिये बने एक आश्रय के भीतर दुर्गा पूजा आयोजित की।
तस्करी कर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से मुंबई पहुंचाई गयी दो मुस्लिम लड़कियों को इस साल की शुरूआत में मुक्त कराया गया था। ये लड़कियां नरेंद्रपुर में न केवल एनजीओ संलाप के आश्रय स्थल पर उत्सव में हिस्सा ले रही हैं बल्कि पूजा अर्चना में हिस्सा लेने के साथ ही देवी को चढ़ाये जाने वाला भोग भी इन्होंने तैयार किया।
सारी रस्मों को निभाने के लिए 23 वर्षीय शबाना बेगम :नाम परिवर्तित: नवरात्रि के सभी दिन तड़के उठ जातीं और पूजा की तैयारियां करने लगती। देवी दुर्गा को ‘अंजलि’ चढ़ने तक वह उपवास भी रखती।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं पहले भी दुर्गा पूजा पंडाल में गयी थी लेकिन कभी भागीदारी नहीं की। पहली बार मैं सभी विधि विधान का पालन कर रही हूं। हम दुर्गोत्सव मना रहे हैं और इसे अपने त्यौहार की तरह मान चुके हैं।’’
उनके अलावा करीब 20 अन्य लड़कियों ने भी पंडाल को सजाया और दैनिक गतिविधियों में हिस्सा लिया। इसमें अधिकतर लड़कियां इस्लाम धर्म की अनुयायी हैं।
संलाप की निदेशक इंद्राणी सिन्हा ने कहा कि हिंदू पुजारी भी तब हैरान रह गए जब उन्हें पता लगा कि देवी को भोग लगने वाला प्रसाद मुस्लिम लड़कियां तैयार करती हैं।
फिलहाल, आश्रय स्थल में 133 लड़कियां हैं।