पिछले दो दशकों में सोशल मीडिया ने हिंदी पर कुछ खास वर्ग के एकाधिकार को तोड़ा है। कोई वक्ता होगा, नेता होगा, पत्रकार होगा, लेखक होगा वही ‘अच्छी हिंदी’ लिखेगा या उसी की बात ज्यादा सुनी जाएगी, वही नए प्रतिमान रचेगा, इस वर्चस्व को तगड़ी चुनौती मिली है। किसी भी भाषा के लिहाज से उसका एकाधिकार या वर्चस्व के क्षेत्र में रहना उस भाषा को कमजोर ही करता है।

एक सामान्य बात अक्सर कही जाती है कि इंग्लैंड की अपनी अंग्रेजी है तो आस्ट्रेलिया की अपनी। सब अलग-अलग तरीके से अपनी अंग्रेजी का इस्तेमाल करते हैं। पर हिंदी में एकरूपता वाले भाषाई वर्चस्व को तोड़ना आसान नहीं रहा और इसे चुनौती मिली तो इंटरनेट से।

इंटरनेट पर आज सब अपने-अपने तरीके की हिंदी ला रहे हैं। इनका अपना साहित्य, समाज, परिवार सब कुछ हिंदी में है। सवाल है कि इसे मुख्यधारा की हिंदी क्यों न मानी जाए। हिंदी के मानकीकरण में सबके साथ समस्या आती है। लेखकों के साथ समस्या आती है, पत्रकारों के साथ भी। अखबार में तो उसका लिखा स्वीकार हो गया क्योंकि अखबार को लोगों के बीच बेचना है तो आप ज्यादा अकड़ नहीं दिखा सकते हैं।

पता चला कि चांद आप केवल अनुस्वार लगा के लिख दे रहे हैं और लोग भी समझ जा रहे हैं। नुक्ते का ध्यान देने के लिए अलग तरह की विशेषज्ञता चाहिए। लेकिन यही लेख जब किसी बड़े प्रकाशन संस्थान में जाता है तो पूरे मानकीकरण के साथ आता है। चंद्रबिंदु, नुक्ता सब लगा दिया जाता है। प्रधानमंत्री लिखेगा तो ‘म’ के ऊपर की बिंदी गायब कर ‘न’ की आधी मात्रा का इस्तेमाल होगा।

कहा जाता है कि हिंदी भी तो संस्कृत से बनी थी न। जी, जरूर बनी थी। लेकिन अब आगे की हिंदी की बनावट का रास्ता क्यों रोक रहे हैं। इसे रोकने की दिक्कत का भुक्तभोगी है पूरा हिंदी साहित्य। पता चला कि ‘बेस्ट सेलर’ की 500 प्रतियां बिकी हैं। लेकिन इंटरनेट पर कोई नया सा लड़का, एक साधारण सी स्त्री अपने पाठक वर्ग तैयार कर दस हजार लाइक ले जाते हैं। ये लाइक उसने किसी सांस्थानिक ढांचे का हिस्सा होकर नहीं लिया है। उसने बिना लाग-लपेट के यथोचित बात कही है।

उसके तथ्य में गुणवत्ता है। उसकी भाषा में मारक क्षमता है और वो लोगों को संप्रेषित कर रहा है तो उसे लाइक, दिल और शेयर मिल रहे हैं। शुरू में जिन लोगों ने इसकी अहमियत समझी, इंटरनेट पर अपने तरीके से बात कहनी शुरू की वे आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। अब उनकी सोशल मीडिया वाली कस्बाई कहानी, उपन्यास छापेखाने से निकल कर ‘बेस्टसेलर’ के कुबेरी दावे के साथ आ रही है।