हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत राजभवन में स्थाई यज्ञशाला बनाए जाने की वजह से विवादों में फंस गए हैं। उन पर धर्मनिरपेक्षता का पालन कराने वाली संवैधानिक शपथ का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। यज्ञशाला का उद्धाटन बुधवार को किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, नेता विपक्ष प्रेम कुमार धूमल, कैबिनेट सदस्य शामिल हुए। इनके साथ ही यज्ञ में सीएम की पत्नी प्रतिभा सिंह ने भी शिरकत की थी। राजभवन में यज्ञशाला बनाए जाने पर ऐतराज जताते हुए सीपीआई(एम) की स्टेट यूनिट ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखते हुए इस मामले में संवैधानिक प्रावधानों की रक्षा के लिए हस्तक्षेप की मांग की है। पत्र में साथ ही लिखा गया है कि राज्यपाल की तरह अन्य संवैधानिक पदों पर बैठे लोग भी अपने आधिकारिक निवास पर ऐसा करते हैं, तो यह एक गलत परंपरा शुरू हो जाएगी।
शिमला के डिप्टी मेयर तिकेंदर पंवार ने कहा कि शिमला में बुधवार(30 मार्च) को राजभवन में यज्ञशाला को स्थाई रूप से स्थापित किया गया। इसका उद्धाटन मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष द्वारा किया गया। जहां हमारे देश की मूल भावना धर्मनिरपेक्षता है, ऐसे में यह पूरी तरह से संवैधानिक सिद्धांतों के खिलाफ है। पंवार ने साथ ही कहा कि अन्य संवैधानिक पदों पर काबिज लोग अपने आधिकारिक निवास पर अपना पूजास्थल इसलिए नहीं बनाते क्योंकि उन्होंने संवैधानिक शपथ ली है।
सीपीएम नेता ने कहा कि राज्यपाल को अपना धर्म का पालन करने की पूरी आजादी हो, लेकिन राजभवन में यज्ञशाला की स्थापना करना निंदनीय है। साथ ही उन्होंने मांग की है कि राज्यपाल को यज्ञशाला ढहाए जाने के लिए कहा जाना चाहिए, ताकि राज्य के प्रमुख केवल एक धर्म के प्रतिनिधि के तौर पर न दिखाई दें।