हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार तड़के निधन हो गया। वह 87 साल के थे। इंदिरा गांधी चिकित्सा कॉलेज (आईजीएमसी) के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर जनक राज ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री ने तड़के 3.40 बजे अंतिम सांस ली।

बताया गया है कि सोमवार को सिंह को दिल का दौरा पड़ा था और उनकी स्थिति गंभीर हो गई थी। उन्हें आईजीएमसी की क्रिटिकल केयर यूनिट में रखा गया था। सांस लेने में तकलीफ के बाद उन्हें बुधवार को हृदय रोग विभाग में चिकित्सकों की निगरानी में वेंटिलेटर पर रखा गया था। लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

वीरभद्र सिंह के लिए कोरोनाकाल काफी भारी साबित हुआ। वे दो बार संक्रमित हुए। पहले अप्रैल में उन्हें कोरोना पॉजिटिव पाया गया था, जिसके बाद उन्हें चंडीगढ़ के अस्पताल में भर्ती कराया गया और वे 30 अप्रैल तक ठीक होकर घर भी लौट गए। हालांकि, 11 जून को एक बार फिर तबियत बिगड़ने के बाद उनकी कोरोना जांच हुई और वे फिर संक्रमित पाए गए। इस बार भी 21 जून को वे अपने 87वें जन्मदिन से दो दिन पहले कोरोना से उबर गए थे। लेकिन कोरोना के बाद उभरे कॉम्प्लिकेशन से उन्हें खासा नुकसान हुआ।

पांच बार सांसद और नौ बार विधायक रहे वीरभद्र सिंह छह बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। वीरभद्र सिंह 1983 से 1990, 1993 से 1998, 2003 से 2007 और फिर 2012 से 2017 तक राज्य के सीएम पद पर रहे। उन्होंने हिमाचल प्रदेश में ही मार्च 1998 से मार्च 2003 तक विपक्षी दल के नेता की जिम्मेदारी संभाली थी। इसके अलावा उन्होंने 1977, 1979, 1980 और 26 अगस्त 2012 से दिसंबर 2012 तक हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की भूमिका भी निभाई थी।

कांग्रेस के धाकड़ नेताओं में शुमार वीरभद्र सिंह 1962 में पहली बार लोकसभा पहुंचे थे। उन्हें 1967 और 1971 के चुनावों में भी जीत मिली थी। वीरभद्र सिंह ने केंद्र सरकारों में उपमंत्री की भूमिका भी संभाली। उन्हें पर्यटन, नागरिक उड्डयन, उद्योग राज्यमंत्री, स्टील और MSME जैसे पोर्टफोलियो की जिम्मेदारी मिल चुकी थी।