हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के विधायक और पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने राज्य की सुक्खू सरकार से इस्तीफा दे दिया। बुधवार दोपहर मीडिया ने जब उनसे सवाल किया कि क्या राज्य में सीएम बदलना चाहिए तो उन्होंने कहा, “ये मेरा अधिकार क्षेत्र नहीं है, यह कांग्रेस आलाकमान तय करे।” जब उनसे सवाल किया गया कि क्या आप प्रेशर में थे तो उन्होंने जबाब दिया, “नहीं, मैं प्रेशर में नहीं रहता… प्रेशर देता हूं।”
विक्रमादित्य सिंह हमारे छोटे भाई- सुक्खू
हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से जब विक्रमादित्य सिंह की नाराजगी को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वो हमारे छोटे भाई हैं, उनको मनाने की जरूरत नहीं है। उनसे हमने बात कर ली है। इससे पहले सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस्तीफे के सवाल पर कहा कि न तो केंद्रीय नेतृत्व ने और न ही किसी और ने उनसे इस्तीफा देने को कहा है और ऐसी कोई बात नहीं हैं।
इस दौरान उन्होंने बीजेपी पर भी निशाना साधा। सुक्खू ने कहा कि ऑपरेशन लोटस के लिए CRPF और हरियाणा पुलिस तैनात की गई थी।हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया गया। सुक्खू ने कहा, “लेकिन मैं एक बात कहना चाहता हूं कि हिमाचल की जनता हमारे साथ है, विधायक हमारे साथ हैं और मैं इतना जरूर कह सकता हूं कि हम पांच साल तक हिमाचल की सरकार चलाएंगे।”
इस्तीफे के बाद क्या बोेले विक्रमादित्य सिंह
बुधवार सुबह मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद विक्रमादित्य सिंह ने कहा, “मुझे अपमानित और कमजोर करने की कोशिश की गई लेकिन आपत्तियों के बावजूद मैंने सरकार का समर्थन किया।” उन्होंने कहा कि वह पिछले दो दिनों के घटनाक्रम से बेहद आहत हैं। इस बात पर विचार करने की जरूरत है कि कांग्रेस के लिए क्या गलत हुआ।
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी नेताओं प्रियंका गांधी – राहुल गांधी को घटनाक्रम से अवगत करा दिया है और गेंद अब पार्टी आलाकमान के पाले में है। विक्रमादित्य सिंह ने कहा, ”कांग्रेस पार्टी ने लोगों से वादे किए थे और उन वादों को पूरा करने की जिम्मेदारी हमारी है और मैं अपने समर्थकों से सलाह करने के बाद अपनी आगे की रणनीति तय करूंगा।”
हिमाचल प्रदेश में बुधवार को क्या हुआ?
मंगलवार को हुए राज्यसभा चुनाव हिमाचल प्रदेश कांग्रेस को मिली हार के बाद बुधवार सुबह से ही राज्य की सियासत में ड्रामा देखने को मिला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में बीजेपी के 15 विधायकों को निलंबित कर दिया गया। निलंबित विधायकों में पूर्व सीएम जयराम ठाकुर भी शामिल हैं। इसके बाद विपक्ष की गैर मौजूदगी में सदन में बजट पास कर दिया गया।
इसके अलावा मंगलवार को कांग्रेस पार्टी के व्हिप के खिलाफ वोट करने वाले विधायकों कारण बताओ नोटिस के जवाब में बुधवार को अपने वकील के साथ विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष पेश हुए और तर्क दिया कि संबंधित सभी दस्तावेज उन्हें मुहैया नहीं कराए गए हैं। स्पीकर ने विधायकों का पक्ष सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।