पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश ने पिछले कुछ महीनों में बारिश का कहर झेलने के बाद अब राहत के दिन देखना शुरू किए हैं। लेकिन यह दर्दनाक वक्त कुछ ऐसे घाव भी दे गया है जिन्हें भरने में फिलहाल कुछ और दिन लगेंगे। कई ऐसे परिवार हैं जिन्हें अपनों के खोने का गम है। 22 वर्षीय नितेश कुमार भी दर्द की एक ऐसी ही दास्तान रखते हैं। 

क्या है नितेश कुमार की कहानी? 

हिमाचल के मंडी जिले में रहने वाले नितेश कुमार को एक बेहद दर्दनाक दिन से 14 अगस्त को गुजरना पड़ा। जब सुबह-सुबह बादल फटने से बाढ़ आ गई, जिससे हिसंबल क्षेत्र में छोटा सा घर बह गया। इस हादसे में नितेश ने अपनी पत्नी, अपनी 6 महीने की बेटी और अपनी बहन को खो दिया, जिनके शव अभी तक बरामद नहीं हुए हैं।

सरकार का कहना है कि लापता लोगों की तलाश का अभियान जारी है, राज्य आपदा बचाव बल (एसडीआरएफ) और स्थानीय अधिकारी बाढ़ के मलबे को लगातार छान रहे हैं। 19 दिनों के प्रयास के बावजूद अभी तक उन्हें सफलता नहीं मिली है। 

क्या कहते हैं नितेश? 

इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में नितेश कुमार ने दुःख से भरी आवाज़ में कहा, “इस भयानक दुर्घटना में मैंने सब कुछ खो दिया है। मेरी पत्नी, बच्चे और बहन के शव इन पत्थरों के नीचे दबे हुए हैं और मैं असहाय होकर उनके ठीक होने का इंतजार कर रहा हूं। इस बीच मेरी मां को भी इस घटना में चोटें आईं, जिससे उनका दाहिना पैर कट गया। उसकी दो सर्जरी हो चुकी हैं और तीसरी सर्जरी होने वाली है।” 

उन्होंने उस मनहूस सुबह का जिक्र किया और कहा, “मैंने सबसे पहले बाढ़ को देखा और अपना घर खाली करने की कोशिश की। हम सभी बाहर निकलने में कामयाब रहे, लेकिन जैसे ही मेरी पत्नी मोनिका कमरे में सो रही अपनी बेटी को लेने गई, पानी की एक तेज़ लहर ने हमारे घर को गिरा दिया और उसे अपने साथ बहा ले गई।” 

सरकार से क्या चाहते हैं नितेश? 

नितेश कुमार सरकार से अपील करते हुए कहते हैं कि सरकार को बहुत गंभीरता से सर्च अभियान चलाना चाहिए। नितेश को अब तक प्रशासन से केवल 40,000 रुपये की सहायता मिली है।यह मंडी में बादल फटने और बाढ़ की पहली घटना थी, जिसमें पांच लोगों की जान चली गई। यह सबसे दुखद घटनाओं में से एक है, जिसमें तीन शव अभी भी मलबे के नीचे फंसे हुए हैं।