बाढ़ से होने वाले नुकसान को ध्यान में रख कर अब राष्ट्रीय राजमार्ग बनाए जाएंगे। इसकेलिए नए सिरे से राजमार्ग निर्माण नियम तैयार होंगे। नए नियमों का प्रारूप तैयार करने के लिए केंद्र सरकार के सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने संबंधित विभागों को दिशानिर्देश भेजे हैं। देश भर में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के पास करीब 50329 किलोमीटर लंबे मार्ग हैं। बाढ़ की स्थिति से होने वाले नुकसान को लेकर हाल ही में केंद्रीय सड़क एंव परिवहन मंत्रालय के मंत्री नितिन गडकरी ने बैठक बुलाई थी। इसमें राज्यों में मार्ग के प्रारूप (डिजाइन) में बदलाव करने संबंधित निर्णय किया गया है।

नया प्रारूप तय मानकों के अनुसार होगा और इन्हें तकनीकी एजंसियों की मदद से तैयार किए जाएगा। राज्यों में मानक जलस्तर में बढ़ोतरी और बाढ़ की स्थिति को देखते हुए तय किए जाएंगे। मंत्रालय ने संबंधित अधिकारियों को इस बाबत हुए अध्ययनों का भी संज्ञान लेने का आदेश दिया है और इस मामले में जल्द से जल्द मंत्रालय को रिपोर्ट भेजने के लिए कहा गया है।

संशोधन के लिए महासचिव इंडिया रोड कांग्रेस (आइआरसी) को लिखित आदेश जारी किए गए हैं। हाल ही में देशभर में राजमार्गो की स्थिति को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी बैठक बुलाई थी। इसमें भी राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और संबंधित राज्यों के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए थे। बैठक में गृहमंत्री ने भी मानसून की तैयारियों के लिए जुटने के आदेश दिए क्योंकि यमुना और गंगा के निचले वाले इलाकों में बाढ़ की वजह से मार्गो को पहले भी नुकसान हुआ है। इसका असर पहाड़ी राज्यों में भी सामने आया है। सरकारी एजंसियां मानती है कि नियमों में संशोधन करके ऐसे राज्यों में राजमार्गो पर बाढ़ व अधिक बारिश जैसी स्थिति से बचा सकता है।

इस समय देश में सबसे अधिक लंबे राजमार्ग महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, ओड़ीशा व आंध्रप्रदेश में है। राजमार्ग के नियम तैयार करने का जिम्मा इंडिया रोड कांग्रेस (आईआरसी) के पास है। यह संस्था ही इस प्रकार के अध्ययन करती है और इसके माध्यम से ही राजमार्गो की गुणवत्ता सुधार के लिए मानक तय किए जाते हैं। संस्था मार्गाे पर वाहनों के बोझ और अन्य कारकों के अध्ययन के बाद अपनी सिफारिश केंद्र सरकार को देती है, जिन्हें बाद में लागू किया जाता है।

राजमार्गो की स्थिति सुधार के लिए अब तक साल 2000 के बाद अध्ययनों के आधार पर चार सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी जा चुकी है। इसके आधार पर ही मार्गो के निर्माण पर कार्य होता है।