देश के राजमार्ग और अधिक सुरक्षित बनेंगे, इसके लिए केंद्र सरकार नई तकनीक (वाइट टापिंग) का प्रयोग करेगी। यह तकनीक से निर्माण की प्रक्रिया सस्ती और वाहन चालकों के लिए अधिक लाभदायक है। अंधेरे वाले मार्ग पर इस तकनीक से बने मार्ग चमकते नजर आते हैं और यह सड़क हादसों में कमी लाने में भी मददगार है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का तकनीक का प्रयोग करने के आदेश जारी किए हैं।

इसके लिए सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और सड़क निर्माण से संबंधित सभी विभागों को एक पत्र भेजा गया है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को कहा है कि देश में करीब 1.46 लाख किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग हैं, इनमें दो, चार, छ: और आठ लेन के मार्ग शामिल है, जिसका इस्तेमाल आम जनता द्वारा किया जाता है।

इन मार्ग के सुधार के लिए भविष्य में नई तकनीक का प्रयोग किया जाए। तकनीक की मदद से मार्ग की औसत उम्र 20 से 25 साल तक बढ़ जाती है और यह वर्तमान में बिटुमिन के प्रयोग से होने वाले सड़क निर्माण की तुलना में कहीं अधिक अच्छा है। इसके अतिरिक्त बारिश में भी नई तकनीक से बनी सड़कों की उम्र अधिक पाई गई है। इन मार्ग की खासियत यह है कि जब इन मार्ग पर गुजरते हुए वाहनों की लाइट मार्ग पर पड़ती है, तो इसकी चमक की वजह से एक लेन में चलने में आसानी रहती है।

पर्यावरण के अनुकूल होंगे ये हाईवे

रपट में इन मार्ग को पर्यावरण के अनुकूल माना गया है और इन मार्ग पर कोलतार (बिटुमिन) की तुलना में वाहन चलाते वक्त अधिक तेल की बचत होती है। इस तकनीक के प्रयोग की सिफारिश इंडियन रोड कांग्रेस ने भी की है। इसी आधार पर केंद्र सरकार भविष्य में नई तकनीक से निर्माण करने पर जोर रहे रही है। मंत्रालय ने सभी राज्यों के लिए इस तकनीक के दायरे में आने वाले मार्ग का भी वर्गीकरण कर दिया है। इसके मुताबिक इस श्रेणी में बायपास और बीस साल से ठेके के दायरे से रह गए मार्ग, किसी भी वन्य अभ्यारण्य या राष्ट्रीय पार्क के आसपास के मार्ग प्रयोग होगी।

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इस तकनीक का प्रयोग करने के लिए मंत्रालय के निदेशक बिधुर कांत झा की तरफ से लिखित आदेश जारी किए गए हैं। इन आदेशों को राज्य सरकारों के अतिरिक्त संबंधित विभागों के सचिवों को भी भेजा गया है। इसमे यह भी बताया गया है कि नई तकनीक के माध्यम से मार्ग की बीच की दरार को भी ठीक करने का काम होगा। इसके अतिरिक्त जिन भी मार्ग पर तकनीक का प्रयोग होगा। वहां पर पहले 80 फीसद तक मार्ग का रखरखाव या मरम्मत का कार्य पूर्ण किया जाएगा। इसके बाद ही मार्ग को सामान्य यातायात के लिए खोला जाएगा।

सड़कों को बनाती है ज्यादा टिकाऊ

इस तकनीक में सड़क पर छह इंच की एक परत बिछाई जाती है। यह तकनीक सड़को को ज्यादा टिकाऊ बनाती है और इसे बार बार- मरम्मत की जरूरत नहीं पड़ती। इस तकनीक के तहत अब तक देश में दक्षिण के राज्यों में काम किया जा जा रहा है और इस तकनीक से बनी सड़कों की उम्र करीब दस साल तक होती है। शुरुआती योजना में सड़क परिवहन मंत्रायल ने कुछ राजमार्ग पर इस तकनीक का प्रयोग किया था।
इसके बेहतर परिणामों के बाद इसे लागू करने का फैसला लिया गया है।