बलात्कार की घटनाओं को “देश पर दाग” बताते हुए उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश पी. पी. नावलेकर ने राय जाहिर की है कि शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों को दुष्कर्म की जघन्य वारदातों के मुकदमों को प्राथमिकता के आधार पर सुनना चाहिये। न्यायमूर्ति नावलेकर ने यहां से कहा, “यह बहुत अच्छी बात होगी कि शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालय बलात्कार के जघन्य मामलों को प्राथमिकता के आधार पर सुनने की पहल करें और इनमें जल्द से जल्द निर्णय सुनायें, क्योंकि दुष्कर्म की घटनाएं देश पर दाग हैं।” उन्होंने कहा कि बलात्कार के जघन्य मामलों में निचली अदालतों के फैसलों के खिलाफ दायर अपीलों को शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों में सुनवाई के लिये प्राथमिकता के आधार पर सूचीबद्ध किया जाना चाहिये और इनमें यथाशीघ्र फैसले की कोशिश की जानी चाहिये।

बलात्कार के मामलों में मुजरिमों को फांसी की मांग को लेकर आम नागरिकों के प्रदर्शनों के बारे में पूछे जाने पर शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि कानूनी तौर पर यह उचित नहीं होगा कि दुष्कर्म के हर मामले में मुजरिम को मौत की ही सजा सुनायी जाये। उन्होंने कहा, “देश के कानून के मुताबिक किसी मुजरिम को मौत की सजा विरलतम से भी विरल मामलों में सुनायी जाती है। वैसे भी यह देखना अदालत का काम है कि तथ्यों और सबूतों के आधार पर किस मामले में कौन-सी सजा सुनायी जाये।” देश में बलात्कार के बढ़ते मामलों पर रोक के लिये पॉर्न कंटेंट को प्रतिबंधित ष्ष्किष्ये जाने की मांग भी जोर पकड़ रही है। इस सिलसिले में ष्ष्किये गये सवाल पर मध्यप्रदेश के पूर्व लोकायुक्त ने कहा कि निजता के अधिकार और इंटरनेट के चौतरफा प्रसार के मद्देनजर यह वाकई विचार का विषय है कि इस सामग्री पर किस तरह पाबंदी लगायी जा सकती है। लेकिन किसी न किसी तरीके से इसके समुचित उपाय तो किये जाने चाहिये कि यह सामग्री लोगों, खासकर किशोरों को गुमराह नहीं कर सके, क्योंकि उनकी बुद्धि उतनी परिपक्व नहीं होती।

न्यायमूर्ति नावलेकर ने दुष्कर्म को “सामाजिक समस्या” बताते हुए कहा, “बलात्कार की घटनाओं पर केवल कानून के जरिये रोक नहीं लगायी जा सकती। इनके खिलाफ समाज को भी आवाज उठानी होगी। वैसे हम इन दिनों देख ही रहे हैं कि दुष्कर्म की घटनाओं के विरुद्ध समाज लगातार एकजुट हो रहा है।” मध्यप्रदेश के मंदसौर में सात वर्षीय स्कूली छात्रा से पिछले महीने सामूहिक बलात्कार के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देश के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को पत्र लिखा था। इसमें अनुरोध किया गया था कि दुष्कर्म के मामलों की जल्द सुनवाई के लिये जिला न्यायालयों की तरह ऊपरी अदालतों में भी फास्ट ट्रैक पीठ गठित की जानी चाहिये।