Nainital High Court: नैनीताल हाईकोर्ट ने देहरादून जिले के विकासनगर क्षेत्र में झुग्गियों पर शुरू हुई बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर दायर प्रार्थना पत्र पर शनिवार शाम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की। इन बस्ती वालों के विशेष अंतरिम राहत के अनुरोध पर चीफ जस्टिस जी. नरेंद्र एवं जस्टिस आशीष नैथानी की खंडपीठ ने कार्रवाई संबंधित आदेश पर रोक लगा दी है।

इस दौरान हाई कोर्ट ने उत्तराखंड की धामी सरकार से पूछा है कि रसूखदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई और झुग्गीवालों को सुनवाई का अवसर क्यों नहीं दिया जा रहा है? कोर्ट ने सरकार को 15 अप्रैल तक स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। सरकार की ओर से बताया गया कि याचिकाकर्ताओं को पूर्व में भी नोटिस दिए गए हैं।

शनिवार को अवकाश के बाद भी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ में प्रभावितों के प्रार्थना पत्रों पर विशेष सुनवाई हुई।

एसडीएम की रिपोर्ट में दो रसूखदारों के अतिक्रमण का जिक्र

याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने कोर्ट को बताया कि विकासनगर क्षेत्र में प्रशासन की ओर से पांच अप्रैल को तीन दिन के भीतर अतिक्रमण हटाने के नोटिस दिए गए हैं। 20 लोगों को यह नोटिस दिए गए, जो झुग्गी वाले हैं। जबकि एसडीएम की रिपोर्ट में दो रसूखदारों के अतिक्रमण का जिक्र है, जो नाले के समीप निर्माण कर रहे हैं।

नान जेडए की भूमि पर कांपलेक्स बना दिया गया। उसको मुख्य मार्ग से पीछे नाले की तरफ बढ़ाया गया है। जबकि उनकी ओर से अभिलेख तक प्रस्तुत नहीं किए गए। उन पर कार्रवाई नहीं हो रही है। नदी-नालों में रेत भरने वालों पर भी एक्शन नहीं लिया गया।

खंडपीठ ने इस पर सख्त नाराजगी जताते हुए नोटिसों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी। सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर व मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत की ओर से बताया गया कि जिनको नोटिस दिए गए हैं, उनको पूर्व में भी नोटिस दिए जा चुके हैं।

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हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पिछले दिनों देहरादून जिले में नालों और गधेरों से अतिक्रमण हटाने, वहां सीसीटीवी लगाने, डीजीपी को अतिक्रमणकारियों पर मुकदमा दर्ज कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए थे। सचिव शहरी विकास को नदी-नालों व गधेरों में अतिक्रमण न करने, मलबा न फेंकने, अवैध खनन न करने का संदेश प्रसारित करने के निर्देश दिए थे।

देहरादून निवासी अजय नारायण शर्मा, रेनू पाल व उर्मिला थापर ने अलग-अलग जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सहस्रधारा में जलमग्न भूमि पर भारी निर्माण किए जा रहे हैं, जिससे जलस्रोतों के सूखने के साथ पर्यावरण को खतरा पैदा हो रहा है।

जबकि दूसरी याचिका में कहा गया है कि ऋषिकेश में नालों, खालों और ढांग पर अतिक्रमण व अवैध निर्माण किया गया है। याचिका में बताया गया था कि देहरादून में 100 एकड़, विकासनगर में 140 एकड़, ऋषिकेश में 15 एकड़, डोईवाला में 15 एकड़ नदी भूमि पर अतिक्रमण है।

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