दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र को कवक संक्रमण के उपचार में उपयोगी लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी के वितरण के लिए नीति बनाने व मरीजों की प्राथमिकता बताने का निर्देश दिया ताकि जिंदगियां बचाई जा सकें। दिल्ली में कोविड-19 प्रबंधन और कवक उपचार की दवाओं की कमी से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि दवा देते समय यह ध्यान रखा जाए कि जिनके जीवित रहने की बेहतर संभावना है, उन्हें व कम आयु वर्ग के लोगों को, उन वृद्धों की तुलना में प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिन्होंने अपनी जिंदगी जी ली है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह के पीठ ने कहा कि केंद्र अपनी नीति में यह अपवाद कर सकता है कि जो शीर्ष पदों पर राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं और जिसकी सुरक्षा उनकी अहम भूमिकाओं के चलते जरूरी है, उन्हें यह दवा दी जाए।

न्यायमूर्ति सांघी ने कहा कि कोविड-19 के कारण अनेक लोगों को खो चुकी युवा पीढ़ी को पहले टीके लगाए जाने चाहिए थे क्योंकि यह राष्ट्र का भविष्य है। लेकिन टीकाकरण में बुजुर्गों को प्राथमिकता दी गई, जो अपना काफी जीवन जी चुके हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि इसका यह मतलब नहीं है कि बाकी पेज 8 पर बुजुर्गों का जीवन महत्वपूर्ण नहीं है। वृद्ध व्यक्ति परिवार को जो भावनात्मक सहयोग प्रदान करते हैं, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति सांघी ने कहा कि मुझे अब तक यह टीकाकरण नीति समझ नहीं आई। उन्होंने कहा, हमें अपना भविष्य सुरक्षित करना होगा।

इसके लिए हमें युवा पीढ़ी को टीके लगाने होंगे। लेकिन हम 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को तरजीह दे रहे हैं, जो अधिकतर जीवन जी चुके हैं। युवा पीढ़ी हमारा भविष्य है। हमने उसे नजरअंदाज कर दिया।

उन्होंने कहा कि यदि संकट की इस घड़ी में कोई विकल्प चुनना है तो हमें युवाओं को चुनना चाहिए क्योंकि एक 80 वर्षीय व्यक्ति अपना जीवन जी चुका होता है और वह देश को आगे नहीं ले जाएगा।

देश में मंगलवार को कोरोना विषाणु संक्रमण के मामलों में सोमवार को दर्ज किए गए मामलों के मुताबिक थोड़ी सी वृद्धि दर्ज की गई। मंगलवार रात ग्यारह बजे तक 33 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में कोरोना के 1,33,401 नए मामले सामने आए। इस दौरान 3,198 लोगों की मौत संक्रमण की वजह से हुई। ये आंकड़े राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के स्वास्थ्य विभागों की ओर से जारी किए गए।