हाल ही में एक महिला सैन्य अधिकारी ने मिलिट्री अस्पतालों पर उसकी बीमारी का सही तरीके से इलाज करने का आरोप लगाया था। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने पिछले हफ्ते एक महिला कर्नल को अपने जोखिम और खर्च पर पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ से अपनी मानसिक बीमारी का उपचार कराने की अनुमति दे दी। कर्नल ने मिलिट्री अस्पतालों पर क्रूरता और दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था।

सस्पेंडेड महिला कर्नल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही चल रही है और वह चार बार आत्महत्या करने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने तीन ब्रिगेडियर और एक लेफ्टिनेंट कर्नल सहित चार सैन्य अधिकारियों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले में FIR भी दर्ज कराई है।

कर्नल ने हाई कोर्ट में तर्क दिया था कि कमांड अस्पताल पश्चिमी कमान ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है, जिसके कारण उन्हें पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के लिए रेफर नहीं किया गया। जिसके जवाब में सेना ने कहा कि उसे इस बात की जानकारी नहीं है कि कमांड अस्पताल, पश्चिमी कमान, चंडीमंदिर मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 की धारा 65 के तहत पंजीकृत प्रतिष्ठान है या नहीं और इस आत को सत्यापित किया जाना जरूरी है।

हाई कोर्ट का निर्देश- याचिकाकर्ता को सौंपे जाएं उसके दस्तावेज

जस्टिस विनोद एस भारद्वाज एल ने 24 अक्टूबर के अपने आदेश में निर्देश दिया है कि कर्नल का चिकित्सा इतिहास और उनके उपचार से संबंधित सभी दस्तावेज प्रतिवादियों, अधिकारियों द्वारा मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 की धारा 25 के अनुसार याचिकाकर्ता को सौंपे जाएं।

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चार बार आत्महत्या की कोशिश कर चुकी है महिला कर्नल

अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए गए निवेदनों में याचिकाकर्ता के वकील ने अस्पताल का हवाला दिया था जिसके अनुसार याचिकाकर्ता को आत्महत्या की प्रवृत्ति के साथ गंभीर डिप्रेशन है। वकील ने यह भी बताया कि याचिकाकर्ता ने पहले भी चार बार आत्महत्या का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के अनुसार, प्रत्येक रोगी को अधिनियम की धारा 25 के तहत अपने मेडिकल रिकॉर्ड हासिल करने का अधिकार है।

वकील ने यह भी कहा कि कमांड अस्पताल, पश्चिमी कमान, चंडीमंदिर अधिनियम के प्रावधानों के तहत रजिस्टर्ड प्रतिष्ठान नहीं है। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि सेना को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह कर्नल को पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ में भर्ती होने की अनुमति दे, जो 2017 अधिनियम के प्रावधानों के तहत विधिवत पंजीकृत प्रतिष्ठान है।

हाई कोर्ट ने रिटायर्ड कर्नल को दी पीजीआई से इलाज कराने की अनुमति

सरकारी वकील ने याचिकाकर्ता के दावे का पुरजोर विरोध किया और तर्क दिया कि उनकी पहले की याचिका पर विचार किया जा रहा है और वर्तमान में कर्नल सस्पेंड हैं। सरकारी वकील ने यह भी तर्क दिया कि याचिकाकर्ता अपनी बीमारी का फायदा उठाकर उनके खिलाफ पेंडिंग कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की कार्यवाही को रोकना चाहती हैं।

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जिसके बाद याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत में कहा कि वह अपनी इच्छा से अपने जोखिम और खर्च पर पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ से इलाज कराना चाहती हैं। जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने मामले की सुनवाई 16 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी।

(Story- Man Aman Singh Chhina)