दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में पहली बार हृदय प्रत्यारोपण किया गया। साथ ही अस्पताल में आपरेशन थिएटर का समय बढ़ाया गया है। अब सुबह 8:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक आपरेशन की सुविधा मिलेगी। दिल्ली एम्स व सेना के आरआर अस्पताल के बाद अब आरएमएल अस्पताल में भी दिल प्रत्यारोपण की सुविधा शुरू हो गई है। स्रातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संगठन (पीजीआइएमईआर) चंडीगढ़ में मस्तिष्क मृतक( ब्रेनडेड) हुई 15 वर्षीय किशोरी के अंगदान से आरएमएल में यह सेवा शुरू हो पाई।
अस्लपताल से मिली जानकारी के मुताबिक लड़की का दिल रविवार रात विमान से दिल्ली लाया गया जहां से यह हरित गलियारे की मदद से अस्पताल पहुंचाया गया। यह दिल 32 वर्षीय युवती को प्रत्यारोपित किया गया। अस्पताल के कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग के डाक्टरों ने एनेस्थीसिया व कार्डियोलोजी विभाग के डाक्टरों ने प्रत्यारोपण को अंजाम दिया। सूत्रों के मुताबिक युवती की अभी गहन चिकित्सा कक्ष( आइसीयू) में भर्ती है।
किशोरी का दिल इस युवती में सालों धड़कता रहेगा। वहीं उस एक किशोरी के कार्निया से दो लोगों आंखों को रोशनी मिल सकेगी वे दुनिया देख सकेंगी। नोटो के अनुसार गुर्दे , लिवर व पैंक्रियाज पीजीआइ में ही तीन मरीजों को प्रत्यारोपित किए गए । दिल दिल्ली लाया गया। अस्पताल के कार्डियोथोरेसिक सर्जरी के विशेषज्ञ प्रोफेसर डा नरेंद्र सिंह झाझरिया ने बताया कि जिस युवती में हृदय का प्रत्यारोपण किया गया उसको लंबे समय से कार्डियोमायोपैथी नामक बीमारी थी। इस वजह से दिल महज 15 फीसद ही काम कर पा रहा था। वह चल नहीं पाती थी कोई काम नहीं कर पाती थी दम फूलता रहता था ।
तमाम जांच व इलाज की कोशिश के साथ ही 11 अगस्त को युवती को दिल के प्रत्यारोपण के लिए अस्पताल की प्रतीक्षा सूची में नाम दर्ज किया गया था। इसकी सूचना अस्पताल ने नोटो को भी देते हुए अंग के लिए आवेदन किया। लेकिन किसी को उम्मीद नहीं थी कि युवती को इतनी जल्दी अंग मिल पाएगा। पर किस्मत से राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) ने सूचना दी कि 21 अगस्त को पीजीआइ चंडीगढ़ में 15 साल की एक किशोरी मस्तिष्क मृतक घोषित की गई है और परिजन अंगदान करना चाहते हैं।
नोटो से मिली जानकारी के मुताबिक पीजीआई चंडीगढ़ में मस्तिष्क मृत हुई किशोरी दुर्घटना के बाद उसे पीजीआइ में भर्ती कराया गया था। लेकिन उसके सिर की चोट इतनी गहरी थी कि उसे बचाया नहीं जा सका। उसके मस्तिष्क मृत घोषित होने व परिवार को अंगदान जैसी संभावना के बारे में बताने पर परिजनों ने अंगदान की सहमति दे दी। इसके बाद उसके दोनों गुर्दे ,कार्निया दिल, लिवर दान किया गया। अंग पाने वाली युवती मूलरूप से बिहार की रहने वाली है।दिल्ली में रहती है, वह मेहनत मजदूरी कर अपना पेट पालती है। तीसरे गर्भ के दौरान उसे सांस लेने में तकलीफ हुई, तब उसे दिल की बीमारी की पता चला ओर मार्च 2022 में आरएमएल रेफर कर दिया गया था,यहां भी तमाम जांच में उसे डायलेटिड कार्डियो मायोपैथी की पुष्टी हुई।
नोटो से सूचना मिलने पर आरएमएल अस्पताल के डाक्टर सड़क मार्ग से चंडीगढ़ पहुंचे। वहां दिल को सुरक्षित तरीके से निकालकर रात को ही विमान से वापस दिल्ली के लिए रवाना हुए और रात करीब 9:40 बजे डाक्टर वापस दिल्ली पहुंचे। यहां दिल्ली यातायात पुलिस की मदद से इंदिरागांधी हवाई अड्डे से आरएमएल अस्पताल तक हरित गलियारा बना कर एंबुलेंस से दिल अस्पताल पहुंचा और रात को ही आपरेशन शुरू हुआ। एम्स के डाक्टरों ने भी उसी समय यहां पहुंच कर मदद की।
आरएमएल के डाक्टर विजय ग्रोवर और एम्स के डाक्टर मिलिंद होते की अगुवाई में डाक्टरों की एक टीम ने प्रत्यारोपण को अंजाम दिया। रात करीब 10.20 बजे प्रत्यारोपण शुरू हुआ और रात तीन बजे तक चला । डा नरेंद्र ने कहा कि आपरेशन सफल रहा है। इसमें सबसे अहम बात यह थी कि मरीज और दानदाता दोनों का वजन 50 किलोग्राम था। इसलिए यह प्रत्यारोपण सफलता पूर्वक हो सका व जरूरी अन्य परिस्थितिया भी अनुकूल थीं। डाक्टरों के 24 घंटों की लगातार की गई मेहनत भी इसे अंजाम देने में अहम रही। अगले कुछ दिन युवती के लिए अहम हैं।
