आमतौर पर घुटनों के दर्द को बढ़ती उम्र की समस्या माना जाता है। मगर आजकल युवाओं के लिए भी यह अब अनदेखी करने का मामला नहीं रह गया है। चलने-फिरने या सीढ़ियां चढ़ने में जब घुटनों में दर्द होने लगे तो इसके लिए गठिया या आर्थराइटिस बीमारी को मुख्य कारण माना जाता है।
दरअसल, उपास्थि जोड़ों के बीच गद्दे की तरह काम आती है, जो दवाब से हड्डियों की रक्षा करती है और शरीर की गतिविधियों को आसान बनाती हैं। जब उसमें कमजोरी या दिक्कत आती है तो हड्डियां एक दूसरे टकराने लगती हैं या रगड़ खाने लगती हैं। इसके बाद जोड़ों में सूजन और ऐंठन पैदा होने लगती है और दर्द होने लगता है। वात और कफ दोष जब शरीर में अधिकता की स्थिति में होते हैं, तब भी घुटनों में दर्द होना शुरू हो जाता है।
दर्द के लक्षण
इसके साथ ही घुटनों में सूजन, जोड़ों का कई बार जाम हो जाना, दर्द या उसमें सख्ती, मरोड़, अकड़न से परेशानी बढ़ने लगती है। इसके असर का विस्तार होता है और पैर चलाने के साथ हाथों को हिलाने और जोड़ों पर हल्का बल देने पर भी तकलीफ होती है। कुर्सी पर बैठने में तो थोड़ी आसानी हो सकती है, मगर चौकड़ी मार कर बैठना कई बार संभव नहीं हो पाता। भारतीय शैली के शौचालयों का इस्तेमाल करने के दौरान घुटनों में इस तरह के दर्द से परेशान व्यक्ति की दिक्कत का अंदाजा लगाया जा सकता है।
बचाव के उपाय
जीवनशैली, शारीरिक सक्रियता, व्यायाम और खानपान अगर दुरुस्त रहे तो इस समस्या की शुरुआत ही न हो। लेकिन अगर किन्हीं हालात में इस समस्या से घिर ही जाएं तब आगे की बात यही होती है कि इससे बचाव या फिर राहत की राह अपनाई जाए। इलाज के समांतर अपने स्तर पर जो कुछ किया जा सकता है, उसमें सुबह से लेकर रात सोने तक के मामले में कुछ नियम-कायदे तो अपनाए ही जा सकते हैं।
मसलन, रात के समय हल्का और सुपाच्य आहार लेना चाहिए। आलू, खीरा, मूली, राजमा, दही, चना, भिंडी, अरबी आदि का सेवन रात में नहीं करने की सलाह दी जाती है। खासतौर पर प्रोटीन की अधिकता वाले खाद्य वस्तुओं मसलन, दही, सूखे मेवे, चावल, दाल और पालक आदि का उपयोग कुछ समय के लिए रोका जा सकता है।
यूरिक एसिड जमा होने वाले खाद्यान्नों, डिब्बाबंद भोजन या जंक फूड या पेय से बचने की जरूरत है। भोजने के एक-डेढ़ घंटे पहले या इतनी ही देर बाद पीना चाहिए। इसके अलावा, गठिया से परेशान मरीजों को ज्यादा तापमान पर पकाए गए खाद्य पदार्थों के अलावा धूम्रपान और शराब के सेवन से बचना चाहिए। माना जाता है कि आधुनिक तकनीकी से तैयार माइक्रोवेव ग्रिलर में बना भोजन खाने से जोड़ों को नुकसान पहुंचता है।
राहत की राह
दूसरी ओर, अगर हरी सब्जियां और साबुत अनाज का सेवन किया जाए, तो इसका घुटनों और मांसपेशियों पर सकारात्मक असर पड़ता है। साथ ही, जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों को इस पर किसी भी तरह के चोट से बचना चाहिए, क्योंकि सबसे पहली आशंका हड्डियों के टूटने की होती है। वजन को नियंत्रित रखने के साथ-साथ गतिशीलता जोड़ों के दर्द में बड़ी राहत का जरिया बनती है।
हालांकि अगर इसे अपनी आदत में शामिल किया जाए तो जोड़ों के दर्द की शुरुआत ही न हो। हल्दी-चूने का लेप लगाना, विटामिन डी और अदरक का सेवन, धूप में लेटना, सिकाई के अलावा सरसों तेल या आयुर्वेद में सुझाई गई कुछ जड़ी-बूटियों से बने तेल से मालिश करने के कई फायदे बताए गए हैं।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)
