Bombay High Court News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2020 में 15 साल की लड़की के साथ रेप के एक मामले में POCSO आरोपी को जमानत दे दी है। कोर्ट ने कहा कि लड़की अपनी मर्जी से आरोपी के पास में गई थी और उसे पता था कि उसके साथ में क्या होने वाला है। इतना ही नहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि उसका परिवार उसके साथ उसके रिश्ते के बारे में अच्छी तरह से जानता था।
कोर्ट ने कहा कि आरोपी 3 साल और 11 महीने से जेल में बंद है और जल्द ही मुकदमा शुरू होने और खत्म होने के कोई भी आसार नहीं है, इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। जस्टिस मिलिंद एन जाधव की बेंच ने 9 अप्रैल को जमानत याचिका पर आदेश पारित किया। उस पर आईपीसी और पॉक्सों एक्ट के प्रावधानों के तहत नाबालिग लड़की का अपहरण और रेप करने का आरोप है। उसे मई 2021 में गिरफ्तार किया गया था।
अगस्त 2020 में दर्ज एफआईआर के अनुसार, पीड़िता के पिता ने जुलाई 2020 की एक घटना के बारे में शिकायत की थी। इसमें उन्होंने कहा था कि वह घर से निकली थी और वापस नहीं लौटी। लड़की के पिता को शक था कि वह एक युवक के साथ भागी है। फोन पर संपर्क करने पर युवक ने लड़की के बारे में जानकारी होने से इनकार कर दिया।
ज्ञानवापी केस में आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई
युवक ने शादी करने से इनकार कर दिया
शिकायत के अनुसार, दो दिन बाद पीड़िता ने पिता को बताया कि वह युवक के साथ दूसरे राज्य में उसकी पैतृक जगह पर है। मई 2021 में, पीड़िता ने अपने पिता को अपनी गर्भावस्था के बारे में बताया और युवक ने कथित तौर पर उससे शादी करने से इनकार कर दिया। इसके बाद उसे वापस महाराष्ट्र लाया गया। अपने बयान में लड़की ने कहा कि वह 2019 से युवक को अच्छी तरह से जानती थी।
युवक के वकील ने क्या तर्क दिया
लड़की ने दावा किया कि मार्च 2020 में उसने उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन कोरोना महामारी के कारण वह अपने पैतृक गांव लौट आया था। बाद में जुलाई 2020 में महाराष्ट्र से बाहर रहने के दौरान उनके बीच शारीरिक संबंध बने। इसकी वजह से वह गर्भवती हो गई। युवक के वकील मतीन कुरैशी तर्क दिया कि लड़की अपनी इच्छा से मई 2021 तक 10 महीने तक युवक के साथ रही थी और इस बीच उसने युवक के खिलाफ जबरदस्ती का कोई आरोप नहीं लगाया था। ‘रेप पीड़िता’ महिला को ही घटना के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ठहराया जिम्मेदार