Haryana: हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद एक तरफ जहां जम्मू-कश्मीर में एनसी-कांग्रेस गठबंधन के नेता उमर अब्दुल्ला ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है, तो दूसरी ओर BJP ने भी हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाने की तैयारियां तेज कर दी हैं।
आज पार्टी ने सरकार गठन के लिए दो पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है और चौंकाने वाला नाम गृहमंत्री अमित शाह का है। BJP ने अमित शाह और मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव को हरियाणा में पर्यवेक्षक के तौर पर भेजा है।
मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने हरियाणा चुनाव में जमकर प्रचार किया था और BJP की जीत में अहीरवाल बेल्ट एक फैक्टर भी साबित हुआ है। उनसे अलग गृहमंत्री अमित शाह का पर्यवेक्षक बनाया जाना अहम माना जा रहा है क्योंकि वे आम तौरपर ऐसी जिम्मेदारियां निभाते नहीं दिखते हैं। इसीलिए उनके हरियाणा जाने के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं।
लगातार बदल रही थी शपथग्रहण की तारीख
दरअसल, 8 अक्टूबर को चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद यह कहा गया था कि नई सरकार का 12 अक्टूबर को दशहरे के दिन शपथग्रहण समारोह होगा लेकिन फिर यह तारीख बदल दी गई। इसके बाद यह तारीख 15 अक्टूबर रखी गई लेकिन फिर इसे भी बदल दिया गया।
अब सैनी सरकार के गठन की तारीख 17 अक्टूबर रखी गई है। शपथग्रहण की तारीखों का लगातार बदलना बीजेपी के लिए किरकिरी का संकेत माना जा रहा था।
सीएम पद को लेकर खींचतान
हरियाणा में विधानसभा चुनाव के दौरान रैलियों में अमित शाह और पार्टी आलाकमान ने सीधे तौर पर नायब सिंह सैनी को ही सीएम प्रोजेक्ट किया था। पार्टी ने उनके चेहरे पर ही चुनाव लड़ा लेकिन सीएम को लेकर खींचतान का दौर लगातार जारी रहा।
अनिल विज ने किया था दावा- वोटिंग से लेकर नतीजों के दिन तक, पूर्व मंत्री अनिल विज की सीएम पद को लेकर महत्वाकांक्षा देखने को मिली थी। उन्होंने तो खुलकर यह तक कह दिया था कि अगली मुलाकात सीएम आवास में होगी। हालांकि, उन्होंने आखिरी में यह जरूर कहा था कि फैसला आलाकमान का होगा।
इसके पहले जब मार्च में मनोहर लाल खट्टर को सीएम पद से हटाकर नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया गया था, तो अनिल विज नाराज हो गए थे और वे शपथ-ग्रहण समारोह तक में शामिल नहीं हुए थे।
राव इंद्रजीत सिंह को लेकर भी थीं खबरें – दूसरी ओर चुनाव में जीत के बाद केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह के भी सीएम दावेदार होने की खबरें सामनें आईं। यह तक कहा गया कि वे अपने खेमे के 9-10 विधायकों के साथ बागी रुख भी अपना सकते हैं। हालांकि आज उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट के जरिए इन सारी बातं को खारिज कर दिया था।
इस पूरे घटनाक्रम ने सीएम पद को लेकर एक असमंजस की स्थिति पैदा कर दी थी। ऐसे में अमित शाह पर्यवेक्षक के तौर पर हरियाणा में सरकार गठन के दौरान मौजूद होना सियासी तौर पर अहम माना जा रहा है।
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कैबिनेट को लेकर भी होगी मॉनिटरिंग
केवल सीएम पद ही नहीं, बल्कि कैबिनेट को लेकर भी बीजेपी में अंदरखाने टकराव की स्थिति बताई जा रही है। इसके चलते विधायक दल की बैठक कराने से लेकर मुख्यमंत्री के उनकी कैबिनेट के शपथ ग्रहण तक सारे घटनाक्रम पर बीजेपी के कथित चाणक्य अमित शाह की निगाह होगी।