अपने तबादलों और टिप्पणियों की वजह से चर्चा में बने रहने वाले वरिष्ठ IAS अधिकारी अशोक खेमका केंद्र में अतिरिक्त सचिव नियुक्त के तौर पर नियुक्ति की मांग को लेकर फिर चर्चा में हैं। बता दें कि खेमका ने अपनी पोस्टिंग केंद्र में किए जाने की मांग की थी। जिसे कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने ‘केंद्र में काम करने का अनुभव नहीं’ होने के आधार पर खारिज कर दिया। 1991 बैच के IAS खेमका मौजूदा समय में हरियाणा के अभिलेखागार, पुरातत्व और संग्रहालय विभाग के प्रधान सचिव हैं।
अपनी नियुक्ति की मांग पर खेमका ने पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। जिसपर उच्च न्यायालय ने इसी साल 24 अगस्त को एक निर्देश में अशोक खेमका को अतिरिक्त सचिव नियुक्त को लेकर केंद्र को दो सप्ताह में रिप्रजेंटेशन देने की बात कही थी। इसपर कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक महीने में निर्णय लेते हुए स्पीकिंग आर्डर पास करने का निर्देश भी दिया था।
वहीं 2 सितंबर को दायर रिप्रजेंटेशन में अधिकारी ने लिखा कि, “मेरी ईमानदारी मेरा सबसे बड़ा पाप रहा है और मुझे इस पाप के लिए दंडित किया गया है। इस रिप्रजेंटेशन के माध्यम से, मैं आपसे विनम्रतापूर्वक निवेदन करता हूं कि मुझे अतिरिक्त सचिव के तौर पर पैनल में शामिल करने के लिए उचित और समय पर विचार करे”।
डीओपीटी ने खेमका की याचिका पर अपने हलफनामे में कहा कि, खेमका के पास केंद्र सरकार में काम करने का अनुभव “शून्य” है, इसलिए नियुक्ति पर विचार नहीं किया जा सकता है। बता दें कि अतिरिक्त सचिव स्तर पर केंद्रीय पैनल में शामिल होने के लिए किसी अधिकारी को उप सचिव और उससे ऊपर के स्तर पर कम से कम तीन साल का अनुभव जरूरी होता है।
हालांकि अप्रैल 2016 में यह तय किया गया था कि कोई भी अधिकारी जिसके पास चाहे एक साल से भी इस पद का अनुभव हो, उसके नाम पर भी अतिरिक्त सचिव की नियुक्ति को लेकर विचार किया जा सकता है, लेकिन वह केंद्र में तैनात होना चाहिए।
ऐसे में खेमका के निवेदन पर समिति ने पाया कि खेमका के पास केंद्रीय अनुभव ‘शून्य’ है, क्योंकि उन्होंने कभी भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर काम नहीं किया है।” बता दें कि, चर्चित IAS अफसर खेमका हरियाणा में रहते हुए दर्जनों ट्रांसफर झेल चुके हैं।