देश में नौकरियों के हालात को लेकर शुक्रवार को कई सांसदों ने चिंता जताई। इनमें बीजेपी के राज्यसभा सदस्य देवेंदर पाल वत्स भी शामिल हैं। सांसदों ने सरकार से जानना चाहा कि लोगों की नौकरियां जाने और बेरोजगारी दर में इजाफा होने की क्या वजह है और सरकार इस बारे में क्या कदम उठा रही है।
राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान के उठे सवालों का जवाब वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने दिया। गोयल ने कहा कि नौकरियों में बड़े स्तर पर हुई किसी छंटनी के प्रामाणिक सबूत नहीं मिले हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार स्किल डेवलपमेंट पर काफी ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रही है।
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, हरियाणा से बीजेपी के राज्यसभा सदस्य ने मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में नौकरियां पैदा करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी। इसके जवाब में पीयूष गोयल ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना आदि के नाम गिनाए। बता दें कि पिछले हफ्ते कौशल विकास मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने सदन को जानकारी दी थी कि मुद्रा योजना के जरिए 1.1 करोड़ नौकरियां पैदा की गईं।
हालांकि, उन्होंने जो आंकड़े बताए, वो पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा चुनाव से पहले बताए डेटा का एक चौथाई था। पीएम ने एक इंटरव्यू में माना था कि इस योजना के जरिए कम से कम 4 करोड़ नई नौकरियां पैदा हुईं। पीएम ने कहा था कि इस योजना के तहत कम से कम 4 करोड़ लोग ऐसे थे, जिन्होंने पहली बार लोन लिया। पीएम के मुताबिक, इन सभी ने कुछ न कुछ रोजगार जरूर पैदा किया होगा।
पूरक सवाल पूछते हुए वत्स ने बताया कि बेरोजगारी की दर करीब 8.5 प्रतिशत तक पहुंच रही है। बीजेपी सदस्य ने यह जानना चाहा कि इन सरकारी योजनाओं के जरिए कब तक बेरोजगारी की समस्या दूर हो जाएगी। इसके जवाब में गोयल ने कहा, ‘आधुनिकीकरण और तकनीकी अपग्रेड की वजह से रोजगार पर अस्थाई असर पड़ा है।
सरकार स्किल डेवलपमेंट पर बहुत ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रही है।’ अपने दूसरे पूरक प्रश्न में वत्स ने पूछा, ‘मंदी की वजह से बहुत सारे कामगारों की छंटनी हो रही है। नौकरियां गवाने वाले कर्मचारियों के कल्याण के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?’
गोयल ने इसके जवाब में कहा कि इस बात के प्रामाणिक या विस्तृत सबूत नहीं मिले हैं कि कर्मचारी बड़े पैमाने पर नौकरियां गंवा रहे हैं। उनके मुताबिक, कुछ मौकों पर अनुपलब्धता या दूसरी वजहों से कोई खास संगठन अपना कामकाज जारी नहीं रख सका। मंत्री ने कहा कि देश के श्रम कानूनों में ऐसे मामलों में दिए जाने वाले मुआवजे और अन्य प्रक्रियाओं से जुड़े प्रावधान भली भांति तरीके से परिभाषित हैं।
बता दें कि नैशनल सैंपल सर्वे ऑर्गजाइनेशन के सर्वे में यह बात सामने आई थी कि 2017-18 में देश में बेरोजगारी की दर 6.1 प्रतिशत थी जो 1972-73 के बाद सबसे ज्यादा है। सरकार इस रिपोर्ट को छह महीने तक दबाए रही और आम चुनाव के बाद जारी किया था।
वहीं, तृणमूल सदस्य सुभाशीष चक्रवर्ती ने कहा कि बीते कुछ सालों में भारत में 90 लाख लोगों की नौकरियां गई हैं। चक्रवर्ती ने जानना चाहा कि भारत का मैनुफैक्चरिंग सेक्टर वैश्विक स्तर जैसा क्यों नहीं परफॉर्म कर रहा? गोयल ने बताया कि सरकार मैनुफैक्चरिंग सेक्टर की दिक्कतों को दूर करने में लगी हुई है। वहीं, नामित सदस्य नरेंद्र जाधव ने जानना चाहा कि चीन और अमेरिका के बीच जारी ट्रेड वॉर की वजह से पड़ोसी मुल्क छोड़ रही मैनुफैक्चरिंग कंपनियों को लुभाने में भारत क्यों नाकाम रहा?