जेल में बंद आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल और अन्य प्रदर्शनकारियों की रिहाई की मांग करते हुए पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पीएएएस) के दो सदस्यों ने यहां और सूरत में अपने अपने घरों पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की है। आरक्षण आंदोलन का महिला चेहरा एवं वेजापुर की निवासी रेशमा पटेल यहां के अन्य पीएएएस सदस्यों के साथ 21 दिसंबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं। उसी दिन पीएएएस सदस्यों ने हार्दिक और अन्य छह पीएएएस नेताओं की जेल से रिहाई और उन पर राजद्रोह का मामला वापस लेने की मांग को लेकर राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया था।

जिलाधिकारी को सौंपे अपने ज्ञापन में रेशमा ने कहा, ‘आज मेरी भूख हड़ताल का पांचवां दिन है। मैं पानी के सिवा कुछ नहीं ले रही हूं। मैं अपने घर में भूख हड़ताल पर बैठने पर बाध्य हूं क्योंंकि पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन के हमारे आश्वासन के बावजूद सार्वजनिक स्थल पर भूख हड़ताल पर बैठने की अनुमति नहीं दी।

कमजोरी की वजह से मुश्किल से बोल पा रहीं रेशमा ने कहा, ‘अब तक सरकार ने मेरे प्रदर्शन का संज्ञान नहीं लिया है। यदि मुझे कुछ होता है तो हमारी मुख्यमंत्री जिम्मेदार होंगी। हमारे भाई झूठे मामलों में जेल में बंद हैं । उन्हें रिहा कराने के लिए जो कुछ भी करना पड़ेगा, मैं नहीं हिचकिचाऊंगी।’ हार्दिक के करीबी पीएएएस सहसंयोजक निखिल सवारी भी सूरत में अपने घर पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए हैं। उन्होंने कहा, ‘हार्दिक और अन्य पीएएएस नेताओं को झूठे मामलों में सलाखों के पीछे तीन महीने हो गए। उन्हें रिहा कराने के वास्ते सरकार पर दबाव बनाने के लिए मैंने गुरुवार से अपनी भूख हड़ताल शुरू की। जब तक हमारी मांगें नहीं मानी जातीं तब तक मैं पीछे नहीं हटूंगा। ’

पीएएएस नेताओं ने पहले राज्य के विभिन्न हिस्सों में जिलाधिकारियों एवं तालुका स्तर पर अन्य सरकारी अधिकारियों को एक साझा ज्ञापन सौंपा था और कहा था कि यदि उनके नेताओं को रिहा नहीं किया जाता है तो वे 21 दिसंबर से प्रदर्शन शुरू करेंगे। पीएएएस ने अपने नेताओं-हार्दिक पटेल, चिराग पटेल, केतन पटेल, दिनेश बंभानिया और नीलेश अरविदा पर से राजद्रोह के आरोप वापस लेने और जेल से तत्काल रिहा करने की भी मांग की है। लेकिन पुलिस ने 21 और 22 दिसंबर को उनके सारे कार्यक्रम विफल कर दिए।

21 दिसंबर को पुलिस ने यहां साबरमती आश्रम के सामने बिना इजाजत के भूख हड़ताल पर बैठने की कोशिश कर रहे 37 पटेलों को गिरफ्तार किया था। अगले दिन मेहसाणा में पुलिस निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने पर सात नेताओं को गिरफ्तार किया गया था।