पटेलों के लिए आरक्षण की मांग करने वाले तेजतर्रार नेता हार्दिक पटेल को दो बार गिरफ्तार किया गया, पहले राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने पर और दूसरी बार देशद्रोह के गंभीर आरोप में।

22 वर्ष के कॉमर्स ग्रेजुएट हार्दिक को रविवार को राजकोट पुलिस ने भारत-दक्षिण अफ्रीका एक दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय मैच से पहले गिरफ्तार कर लिया था क्योंकि युवा नेता ने मैच के दौरान गड़बड़ी फैलाने की धमकी दी थी। सोमवार सुबह उन्हें राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने पर गिरफ्तार किया गया।

शाम को राजकोट की एक अदालत ने उन्हें जमानत दे दी, लेकिन उसके फौरन बाद सूरत पुलिस ने उन्हें पटेल समुदाय के एक युवक को आत्महत्या करने की बजाय पुलिसकर्मियों को मारने के लिए कथित रूप से उकसाने पर देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।

सूरत पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने बताया, ‘‘सूरत अपराध शाखा की एक टीम ने हार्दिक को राजकोट से गिरफ्तार किया और उन्हें शहर में लाया जा रहा है। हमने अमरोली थाने में उनके खिलाफ देशद्रोह की शिकायत दर्ज की है।’’

राजकोट ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक गगनदीप गंभीर के अनुसार, पुलिस ने हार्दिक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने से पहले उनके खिलाफ ठोस साक्ष्य जुटाये हैं जो पहले से ही रविवार से स्थानीय पुलिस की एहतियातन हिरासत में हैं।

गंभीर ने कहा, ‘‘हमने सभी वीडियो फुटेज की जांच कर ली है जो स्पष्ट तौर पर यह संकेत दे रहे हैं कि हार्दिक ने राष्ट्र ध्वज (कल रविवार को) का अपमान करने का अपराध किया है। इसलिए पुलिस ने पाधारी पुलिस थाने में हार्दिक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।’’

राजकोट पुलिस ने हार्दिक को मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया। दोनो तरफ की दलीलें सुनने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट ए एस खेजरावाला ने उन्हें 10,000 रुपए के मुचलके पर जमानत दे दी। इसके बाद उन्हें देशद्रोह के मामले में हिरासत में ले लिया गया।

सूरत के पुलिस उपायुक्त मकरंद चौहान इस मामले में शिकायतकर्ता हैं, उन्होंने कहा, ‘‘हमने हार्दिक के खिलाफ उनकी 3 अक्तूबर की टिप्पणियों के लिए देशद्रोह का मामला दर्ज किया है, जिसमें वह अपने साथियों से पुलिसकर्मियों को मारने के लिए कह रहे हैं।

पटेल आरक्षण के हिमायती हार्दिक को भारतीय दंड संहिता की धारा 124 (ए) के तहत गिरफ्तार किया गया है। देशद्रोह का आरोप सिद्ध होने पर कम से कम तीन साल और ज्यादा से ज्यादा उम्रकैद की सजा दी जा सकती है।

इस धारा के अनुसार, ‘‘जो भी, शब्दों, बोले गए अथवा लिखे गए….से सरकार के खिलाफ घृणा अथवा अवमानना पैदा करेगा अथवा असंतोष को बढ़ावा देगा उसे तीन वर्ष तक की जेल अथवा आजीवन कारावास की न्यूनतम सजा दी जाएगी।’’

हार्दिक के खिलाफ दाखिल प्राथमिकी में भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराएं 115 (अपराध को बढ़ावा देना), 153 ए (विभिन्न समूहों में वैमनस्य बढ़ाना), 505 (2) (एक समुदाय को दूसरे के खिलाफ भड़काना) और 506 (आपराधिक धमकी) लगाई गई हैं।

आरोप है कि हार्दिक ने अपने समुदाय के एक युवक को सलाह दी थी कि अपनी जान देने की बजाय वह पुलिसकर्मियों को मारे। हार्दिक ने यह बात कथित रूप से विपुल देसाई से कही थी, जिसने कहा था कि आरक्षण आंदोलन के समर्थन में वह आत्महत्या कर लेगा। पटेल ने उससे कहा था, ‘‘अगर तुम में इतना साहस है,,,तो जाओ और कुछ पुलिस वालों को मार दो। पटेल कभी आत्महत्या नहीं करते।’’

हार्दिक खबरिया चैनलों के प्रतिनिधियों के एक दल के साथ देसाई के घर गए थे और उनकी यह टिप्पणी चैनलों पर प्रसारित की गई थी। हार्दिक के खिलाफ यह शिकायत उनकी कथित टिप्पणी के 15 दिन बाद दाखिल की गई।

पटेलों के लिए आरक्षण की मांग का मुद्दा उठाने वाले हार्दिक पटेल 25 अगस्त को अहमदाबाद में पटेलों की बडी रैली के बाद सुर्खियों में आए, जिसके बाद गुजरात में हिंसा भड़क उठी और 10 लोगों की जान चली गई।

हार्दिक को रविवार को राजकोट में क्रिकेट मैच से पहले स्टेडियम की तरफ जाते हुए गिरफ्तार किया गया था। पुलिस के अनुसार हार्दिक के हाथ में तिरंगा था और पुलिस ने जब उन्हें रोका तो मीडिया से बातचीत के लिए वह एक कार पर जा चढ़े और इस दौरान तिरंगे का एक सिरा कथित रूप से हार्दिक के पांव से छू रहा था।