केंद्र सरकार की ओर से इस साल स्वतंत्रता दिवस पर आजादी के अमृत महोत्सव के तहत हर घर में तिरंगा लगाने का आह्वान किया गया था। इसके लिए प्रधानमंत्री ने सभी देशवासियों का आह्वान किया है कि वह 13 से 15 अगस्त तक अपने घरों और प्रतिष्ठानों पर तिरंगा लहराएं। इस बीच समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान ने एक बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया। इसको लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में घमासान मच गया है।

उन्होंने कहा, “घर में तिरंगा लगाने की जरूरत क्या है। तिरंगा लगाना जरूरी नहीं होना चाहिए। हम तो पार्टी का झंडा लगाते हैं, मुल्क का झंडा तो मुल्क वाले लगाते हैं।” उन्होंने यह भी कहा, “‘मुझे तिरंगा यात्रा में शामिल होने का कोई न्यौता नहीं मिला और तिरंगा लोगों को अपनी इच्छा से लगाना चाहिए, ये अनिवार्य नहीं हो सकता।”

तिरंगा यात्रा से विपक्ष रहा नदारद

दरअसल केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय बुधवार (3 अगस्त 2022) को सभी सांसदों के लिए बाइक से तिरंगा यात्रा निकालने का कार्यक्रम तय किया था। मंत्रालय की ओर से सत्ता और विपक्ष के सभी सांसदों को इसमें शामिल होने के लिए पत्र भेजा था। इस यात्रा को लाल किले से उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया और यह विजय चौक पर यह यात्रा पूरी हुई। इस यात्रा में सत्ता पक्ष के लोग शामिल हुए, लेकिन विपक्ष नदारद रहा। इस पर कई नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा, “विपक्ष वंशवाद और परिवारवाद में फंसा है। विपक्षी दल देश को तोड़ने की साजिश कर रहे हैं। ये षडयंत्रकारी हैं। इनको तिरंगा से नहीं राष्ट्रभक्ति से परहेज है।” गोरखपुर से भाजपा सांसद रवि किशन ने तिरंगा यात्रा में विपक्षी सांसदों के शामिल नहीं होने पर सवाल उठाया। कहा विपक्ष अभी तक तुष्टिकरण की राजनीति को छोड़ नहीं सका है।

रवि किशन ने कहा, “विपक्ष ने बता दिया है हम लोग अंग्रेजी मानसिकता वाले लोग हैं। हम लोगों को तिरंगे से कोई लेना-देना नहीं है। जबकि बाकायदा इन लोगों को भारत के उपराष्ट्रपति की ओर से न्योता गया था कि आइए इसमें शामिल होइए।”

कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कसा तंज

कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने पीएम मोदी के हर घर तिरंगा अभियान पर तंज कसते हुए कहा, “कौन देशभक्त है सब जानते हैं। कितना देशभक्त हैं कि हमारे देश को आजाद कराने के लिए जो अखबार निकाला गया था, उनके खिलाफ यह घिनौना साजिश हो रहा है, उसको भी थोड़ा याद करो और उसको भी याद करो। जिस पत्रिका को सामने रखकर हिंदुस्तान की लड़ाई लड़ी गई थी, उसके ऊपर किस तरह के जुल्म और अन्याय हो रहे हैं। यह भी देखा करो।”