अमेरिका की एक संघीय अदालत ने 169 भारतीयों की एक याचिका को खारिज कर दिया है। उस याचिका में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से एच-1बी वीजा के आधार पर आने वाले विदेशियों के प्रवेश करने पर लगाई गई अस्थायी रोक को चुनौती दी गई थी। कोलंबिया जिले की संघीय अदालत के भारतीय मूल के न्यायाधीश अमित पी मेहता ने अपने आदेश में कहा कि भारतीय नागरिक जो सीमा बंद होने के बाद भारत में फंस गए हैं, उनका मुकदमा जीतना असंभव है।

H-1B वीजा एक गैर-आप्रवासी वीजा है। यह अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को विशेष व्यवसायों में नियोजित करने की अनुमति देता है, जिन्हें सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल दसियों हजार कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए इस वीजा पर निर्भर हैं। न्यायाधीश अमित पी मेहता ने कहा कि 169 भारतीय नागरिकों ने अपने मुदकमे में विदेश मंत्री और अमेरिकी वाणिज्य दूतावास को डीएस-160 वीजा आवेदन पर अंतिम फैसला करने का निर्देश देने की गुजारिश की है।

अदालत ने कहा कि यह फैसला बेकार साबित हो जाएगा जब शिकायतकर्ता एक जनवरी 2021 तक देश में प्रवेश करने से अयोग्य हैं। अदालत ने कहा कि यदि कोई आदेश जारी किया गया तो भ्रम का माहौल पैदा होगा। ऐसे किसी आदेश से सीमित संसाधन की अर्हता रखने वाले लोगों के आवदेन की प्रक्रिया से दूसरी ओर मुड़ने का खतरा होगा जिन्हें राष्ट्रपति की घोषणा से छूट दी गई है। लोग देश में प्रवेश करने की कोशिश करेंगे जिन्हें हवाई अड्डे में प्रवेश करने से ही इंकार कर दिया जाएगा।

बता दें कि यह मुकदमा उन भारतीयों की ओर से दाखिल किया गया था जो हाल तक अमेरिका में कानूनी तौर पर गैर-आव्रजक दर्जे के साथ अस्थायी कामगार के तौर पर रहे थे। इनको अमेरिकी आंतरिक मंत्रालय ने मंजूरी थी। बाद में वे विभिन्न वजहों से भारत गए और अब अमेरिका लौटने के लिए उन्हें वीजा की जरूरत है।