इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हिंदू पक्षों को ज्ञानवापी परिसर के ‘व्यास तहखाना’ में पूजा करने की अनुमति देने वाले आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को सोमवार को खारिज कर दी। मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी जिला न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में अर्जी देकर व्यास तहखाने में पूजा किए जाने पर रोक लगाने की मांग की थी। इस मामले में सोमवार को हाई कोर्ट से मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज होने के बाद अब व्यास तहखाने में पूजा पहले की तरह जारी रहेगी। साथ ही जिला मजिस्ट्रेट ‘तहखाना’ के रिसीवर के रूप में बने रहेंगे।

जिला मजिस्ट्रेट ‘तहखाना’ के रिसीवर के रूप में बने रहेंगे

वकील प्रभाष पांडे ने बताया, “कोर्ट ने जिला न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया… इसका मतलब है कि पूजा वैसे ही जारी रहेगी। जिला मजिस्ट्रेट ‘तहखाना’ के रिसीवर के रूप में बने रहेंगे। यह हमारे सनातन धर्म के लिए एक बड़ी जीत है…वे (मुस्लिम पक्ष) फैसले की समीक्षा के लिए जा सकते हैं। पूजा जारी रहेगी।”

हरि शंकर जैन बोले- पूजा के अधिकार को कोर्ट ने बरकरार रखा

ज्ञानवापी मामले पर वकील हरि शंकर जैन ने कहा, ”यह स्वागत योग्य फैसला है। हिंदुओं को पूजा करने का जो अधिकार है, उसे हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है। 1993 तक हिंदू व्यास तहखाना में पूजा करते थे, लेकिन गैरकानूनी तरीके से रोका गया। वे (मुस्लिम पक्ष) सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं, लेकिन हम भी विरोध करने के लिए तैयार हैं…”

हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन कहते हैं, “आज, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अंजुमन इंतेज़ामिया के आदेशों की पहली अपील को खारिज कर दिया है, जो 17 और 31 जनवरी के आदेश के खिलाफ थी और आदेश का असर यह हुआ कि ज्ञानवापी परिसर के व्यास तहखाना में चल रही पूजा जारी रहेगी। अगर अंजुमन इंतजामिया सुप्रीम कोर्ट आती है, तो हम सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी कैविएट दाखिल करेंगे…”

अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा, ”…आज हाई कोर्ट ने भी मान लिया कि वहां पूजा और धार्मिक अनुष्ठान होते थे और 1993 में बिना किसी दस्तावेज़ या आदेश के धार्मिक अनुष्ठान बंद कर दिए गए…तो, आज जिला न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा गया…हाई कोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया…अंजुमन इंतजामिया (मस्जिद कमेटी) की आपत्ति को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है…”

इससे पहले श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा, “…वहां मंदिर से जुड़े साक्ष्य मिले हैं…सर्वेक्षण के बाद कोर्ट ने आदेश दिया था कि पूजा अवश्य होनी चाहिए… हाई कोर्ट इसे नहीं रोक सकता, इसे रोकने का कोई आधार नहीं है…यह एक मंदिर था और वहां पूजा होती थी…हम सुप्रीम कोर्ट तक जा सकते हैं…जिस तरह राम जन्मभूमि का फैसला आया था, उसी तरह ज्ञानवापी फैसला भी आएगा क्योंकि हिंदू पक्ष के पास उचित सबूत हैं…”