ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कथित शिवलिंग के कार्बन डेटिंग करने की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने ASI यानी कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को कॉर्बन डेटिंग करने का निर्देश दिया है। इस बात पर भी जोर दिया गया है कि कार्बन डेटिंग के दौरान किसी भी तरह से उस कथित स्ट्रक्चर को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए।
हाई कोर्ट का आदेश बड़ा क्यों?
बड़ी बात ये है कि इस फैसले के साथ इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वाराणसी की अदालत के उस आदेश को भी रद्द कर दिया है जहां पर यथास्थिति कायम रखने की बात कही गई थी। असल में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ही यथास्थिति कायम रखने की बात कही थी, उसी वजह से जब वाराणसी कोर्ट में कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की याचिका दायर की गई तो कोर्ट ने उसे स्वीकार करने से मना कर दिया था। लेकिन उस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई और अब ASI को कार्बन डेटिंग की इजाजत दे दी गई है।
सुनवाई के दौरान क्या हुआ?
वैसे हाई कोर्ट ने जो आदेश जारी किया है, इसका अनुमान तभी लगा लिया गया था जब सुनवाई के दौरान पूछा गया था कि क्या बिना किसी नुकसान के कार्बन डेटिंग को अंजाम दिया जा सकता है। असल में इस मामले में केंद्र सरकार के अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह से कोर्ट ने पूछा था कि क्या शिवलिंग को बिना नुकसान पहुंचाए कार्बन डेटिंग संभव है? इस पर जवाब हां में दिया गया था और तभी से अटकलें थीं कि इस कथित शिवलिंग की असल आयु जानने के लिए कार्बन डेटिंग को इजाजत दी जा सकती है।
कथित शिवलिंग मिलने का क्या मामला?
केस की बात करें तो पिछले साल 16 मई को ज्ञानवापी में कथित शिवलिंग मिला, तब हिंदू पक्ष ने कहा था कि भोलेनाथ मिल गए। उसके बाद ही जिला अदालत में इस कथित शिवलिंग का सर्वे करवाने की मांग की गई थी। लेकिन तब यथास्थिति बनाए रखने के लिए उस सर्वे को मंजूरी नहीं दी गई। अब जब इसकी इजाजत दे दी गई है, हिंदू पक्ष उत्साहित है, वहीं ज्ञानवापी मस्जिद के लोगों की तरफ से अभी भी कहा जा रहा है कि वो एक वजूखाना है और उसका शिवलिंग से कोई लेना देना नहीं।