Gyanvapi Masjid Case: वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर मामले में आज अहम दिन है। कोर्ट के आदेश के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने सर्वे का काम पूरा कर लिया है। 93 दिनों तक यहां सर्वे का काम किया गया। सर्वे पूरा करने और रिपोर्ट पेश करने के लिए चार बार समय बढ़ाया। रिपोर्ट दाखिल करने की अंतिम समय सीमा 17 नवंबर को पूरी होगी। हालांकि बृहस्पतिवार शाम तक यह असमंजस बना हुआ था कि एएसआई ने अभी तक रिपोर्ट तैयार नहीं की है और वो ज्यादा समय मांग सकता है।
दोनों पक्षों को दी जाएगी सर्वे रिपोर्ट
एएसआई सर्वे की रिपोर्ट कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में सौंपेगा। कोर्ट से इस रिपोर्ट की कॉपी हिंदू और मुस्लिम पक्ष हासिल कर सकेंगे। बता दें कि ज्ञानवापी में सर्वे का काम कई बाद रोका गया और उसकी तिथि को आगे बढ़ाया गया। वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने 21 जुलाई को ज्ञानवापी मस्जिद के सील वजूखाने को छोड़कर बाकी सभी हिस्से और तहखानों का सर्वे करने का आदेश एएसआई को दिया था।
तीन दिन बाद ही 24 जुलाई को एएसआई ने सर्वे शुरू कर दिया था लेकिन मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील करने के लिए कहा था। 27 जुलाई को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। 3 अगस्त को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने एएसआई ने इन बिंदुओं पर मांगी रिपोर्ट
- ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार की उम्र और प्रकृति
- मस्जिद के तीन गुंबदों और उसके नीचे के हिस्से की प्रकृति
- नंदी के सामने के व्यास समेत अन्य सभी तहखानों की सच्चाई
- क्या मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर की संरचना के ऊपर किया गया है
- इमारत की उम्र, निर्माण और दीवारों पर मौजूद कलाकृतियों की उम्र और प्रकृति का निर्धारण
- मस्जिद के विभिन्न हिस्सों और संरचना के नीचे मौजूद ऐतिहासिक, धार्मिक महत्व की कलाकृतियां और अन्य वस्तुएं
सर्वे में शामिल हुए देशभर के एक्सपर्ट
एएसआई ने सर्वे के लिए देशभर के विशेषज्ञों को टीम में शामिल किया। इसके लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल भी किया गया। एएसआई की टीम में डिप्टी डायरेक्टर डॉ. आलोक कुमार त्रिपाठी के नेतृत्व में सारनाथ, प्रयागराज, पटना, कोलकाता और दिल्ली के पुरातत्व विशेषज्ञों ने सर्वे का काम किया। ज्ञानवापी में जीपीआर तकनीक से अध्ययन के लिए हैदराबाद से विशेषज्ञों का दल आया था।