किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी भी अरविंद केजरीवाल की तर्ज पर चलते दिखाई दे रहे हैं। यूपीए 2 के आखिरी दौर में जब अन्ना आंदोलन ने देश भर में सुर्खियां बटोरीं तो अरविंद केजरीवाल भी उस टीम का हिस्सा थे। अन्ना आंदोलन तो खत्म हो गया, अन्ना अपने गांव लौट गए लेकिन केजरीवाल पीछे नहीं हटे। उन्होंने अपनी पार्टी बनाई और राजनीति में कूद गए। उसी तर्ज पर गुरनाम सिंह चढ़ूनी भी चलते दिखाई दे रहे हैं। तब भी अन्ना ने राजनीति से दूरी बनाने की बात कही थी लेकिन केजरीवाल नहीं माने। वहीं, अब SKM ने राजनीति से दूर रहने की बात कही है लेकिन लग रहा है कि चढ़ूनी संगठन से अलग राह बना रहे हैं।

भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी शनिवार को चंडीगढ़ में एक नए राजनीतिक दल का ऐलान कर सकते हैं। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से अधिक चले आंदोलन से निकलने वाला ये पहला राजनीतिक दल होगा, जिसका ऐलान गुरनाम सिंह चढ़ूनी शनिवार को कर सकते हैं। चढ़ूनी ने शनिवार को चंडीगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है।

दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से अधिक समय तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद, किसान संगठनों ने 9 दिसंबर को अपना आंदोलन वापस ले लिया था। तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर से अधिक चला किसान आंदोलन 2020 में शुरू हुआ था। पिछले साल नवंबर में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान बड़ी संख्या में आए और दिल्ली की सीमाओं पर अपना डेरा जमा दिया था।

पिछले महीने, पीएम मोदी ने ऐलान किया कि सरकार ने तीनों कानूनों को रद्द करने का फैसला किया है। इसके बाद, शीतकालीन सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों द्वारा उन्हें वापस ले लिया गया था।

हालांकि, मुख्य मांग के स्वीकार किए जाने के बाद भी प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि वे अपना आंदोलन तभी समाप्त करेंगे जब केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी, किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों की वापसी और आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को मुआवजा देने की मांगों को स्वीकार करेगी। सरकार द्वारा इन लंबित मांगों पर प्रस्ताव मिलने के बाद आखिरकार किसान संगठनों ने अपना आंदोलन स्थगित करने का फैसला किया।