पंजाब सरकार ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष दायर एक हलफनामे के माध्यम से कहा है कि डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की अस्थायी रिहाई से राज्य में कानून-व्यवस्था पर असर पड़ सकता है। हलफनामा पंजाब के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) अर्पित शुक्ला के द्वारा दायर किया गया है।
उच्च न्यायालय शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है। जिसमें गुरमीत राम रहीम सिंह को अस्थायी रिहाई देने वाले रोहतक संभागीय आयुक्त के आदेश को रद्द करने की मांग की गई है। अब इस मामले की सुनवाई 9 मार्च को होनी है।
पंजाब सरकार ने क्या कहा?
पंजाब सरकार की ओर से कहा गया है कि एक व्यक्ति जिसे जघन्य अपराध से जुड़े तीन अलग-अलग मामलों में दोषी पाया गया है और कारावास की सजा सुनाई गई है। वह बार-बार इस तरह की रिहाई का हकदार नहीं है। हलफनामे में आगे कहा गया है कि गुरमीत राम रहीम को बिना किसी ठोस कारण के हिरासत से अस्थायी रिहाई दी गई है। उसकी रिहाई से पंजाब राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति में गड़बड़ी पैदा होने की संभावना है।
हलफनामे में आगे उल्लेख किया गया है कि डेरा सच्चा सौदा और राज्य के अधिकारियों के बीच संघर्ष का एक इतिहास है। उसके अनुयायियों ने सजा के समय हाथापाई की थी। और उस वक़्त तनाव की स्थिति पैदा हुई थी।
पंजाब सरकार ने यह भी कहा कि गुरमीत राम रहीम को हिरासत से बार-बार अस्थायी रूप से रिहा करने से पंजाब में एक विशेष धार्मिक समुदाय में नाराजगी है।
हरियाणा सरकार कर रही समर्थन
राम रहीम सिंह को पैरोल दिये जाने का समर्थन करते हुए हरियाणा सरकार ने कहा था कि वह कट्टर कैदी की परिभाषा के तहत नहीं आता और उसे सीरियल किलर नहीं कहा जा सकता है। डेरा प्रमुख को 20 जनवरी को 40 दिन की पैरोल दी गई थी. एसजीपीसी ने पैरोल आदेश को हाल में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
पंजाब सरकार ने अपने जवाब के पीछे 2017 में दुष्कर्म के एक मामले में हरियाणा की पंचकूला अदालत से दोषी ठहराये जाने पर डेरा प्रमुख के समर्थकों द्वारा किये गये उपद्रव का हवाला दिया. उसने अदालत में यह भी कहा कि समाज के कुछ वर्ग डेरा प्रमुख को आये दिन अस्थायी पैरोल दिये जाने की तुलना उन लोगों से कर सकते हैं जो लंबे समय से जेल में बंद हैं