Gurmeet Ram Rahim: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने आज डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को 2002 में पूर्व डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या के मामले में बरी कर दिया। इस केस में राम रहीम सिंह की 2021 की सजा को पलट ने के बावजूद राम रहीम जेल में रहेगा। इसकी वजह यह है कि वह दो अन्य आपराधिक मामलों में दोषी करार दिए जा चुके हैं।

बता दें कि अगस्त 2017 में उन्हें बलात्कार के दो मामलों में दोषी ठहराया गया था और जनवरी 2019 में उन्हें पत्रकार राम चंद्र छत्रपति की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। डेरा प्रमुख ने अपील दायर कीदोनों ही फ़ैसलों के ख़िलाफ़ हाई कोर्ट में अपील की गई है। एक मामले में उन पर अपने लगभग 400 पुरुष अनुयायियों को “झूठे वादों” के आधार पर नपुंसक बनाने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया गया है।

CBI की अदालत ने दिया था फैसला

बता दें कि जुलाई 2002 में हरियाणा के सिरसा में रणजीत सिंह नामक डेरा प्रबंधक की हत्या कर दी गई थी। नवंबर 2003 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। बाद में दायर की गई सीबीआई चार्जशीट के अनुसार, एक गुमनाम पत्र प्रसारित हो रहा था, जिसमें डेरा प्रमुख पर डेरा परिसर के अंदर साध्वियों का यौन शोषण करने का आरोप लगाया गया था।

अक्टूबर 2021 में सीबीआई की विशेष अदालत ने डीएसएस प्रमुख और उनके चार अनुयायियों को रंजीत सिंह की हत्या की साजिश रचने का दोषी ठहराया था। विशेष जज ने सीबीआई की मौत की सजा देने की याचिका को खारिज कर दिया और इसके बजाय आजीवन कारावास और 31 लाख रुपये के जुर्माने का विकल्प चुना, जिसमें से आधा हिस्सा रंजीत सिंह के परिवार को दिया गया।

राम रहीम सहित पांचों दोषियों ने इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की, जिसने 28 मई, 2024 को सभी पांचों आरोपियों की सजा को उलट दिया था। सितंबर 2002 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सीबीआई को पत्र में लगाए गए आरोपों की जांच करने का आदेश दिया। 2007 में आरोपपत्र दाखिल किया गया और सीबीआई के स्पेशल जज ने अक्टूबर 2013 में मामले की सुनवाई शुरू की।

सिरसा में हुई थी पत्रकार की हत्या

बता दें कि 24 अक्टूबर 2002 को हुई पत्रकार राम चंद्र छत्रपति की सिरसा में उनके घर के बाहर मोटरसाइकिल सवार दो लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। छत्रपति ने डीएसएस प्रमुख द्वारा महिलाओं के शोषण के बारे में गुमनाम पत्र स्थानीय हिंदी अख़बार ‘पूरा सच’ में प्रकाशित किया था। उनके बेटे अंशुल छत्रपति ने 2003 में हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया और मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी।

2006 में जांच सीबीआई को सौंप दी गई, जिसने डीएसएस प्रमुख और उनके तीन अनुयायियों – कुलदीप सिंह, निर्मल सिंह और किशन लाल के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। हरियाणा के पंचकूला में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने नवंबर 2019 में हत्या की साजिश रचने के आरोप में चारों को दोषी पाया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस फैसले के खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में भी अपील लंबित है।

जुलाई 2012 में डीएसएस अनुयायी हंसराज चौहान ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने दावा किया था कि 1999 से 2000 के बीच डीएसएस नेताओं और राम रहीम ने डेरा में करीब 400 पुरुषों (जिनमें वह खुद भी शामिल थे) को अंडकोष निकलवाने के लिए सर्जरी करवाने के लिए मजबूर किया था।