Sukhjinder Singh Randhawa: वरिष्ठ कांग्रेस नेता और गुरदासपुर के सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा ने मंगलवार को पूर्व विधायक नवजोत कौर सिद्धू को एक मानहानि नोटिस भेजा है। रंधावा का कहना है कि नवजोत कौर सिद्धू ने उन पर गलत तरीके से भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं, इसलिए उन्होंने यह नोटिस भेजा।

सुखजिंदर रंधावा के वकील गुरमुख सिंह रंधावा ने कानूनी नोटिस में कहा है कि सांसद की सार्वजनिक जीवन में बेदाग प्रतिष्ठा है। उन्होंने पंजाब के उपमुख्यमंत्री, विधायक और विभिन्न अन्य पदों पर उत्कृष्ट कार्य किया है।

नोटिस में कहा गया है, “…आपने मीडिया से बातचीत के दौरान मेरे मुवक्किल के खिलाफ झूठे, निराधार और अपमानजनक बयान दिए, जिन्हें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित और रिपोर्ट किया गया। खासतौर पर, आपने आरोप लगाया कि मेरे मुवक्किल ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के राजस्थान प्रभारी के रूप में कार्य करते हुए भ्रष्टाचार किया है, जिसमें पैसे के बदले पार्टी के टिकटों का वितरण भी शामिल है। ये बयान बिना किसी सबूत या आधार के दिए गए थे और मेरे मुवक्किल के चरित्र और प्रतिष्ठा को धूमिल करने के इरादे से दिए गए थे।”

इसमें आगे कहा गया है कि ये बयान पूरी तरह से झूठे, मनगढ़ंत और द्वेष, राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता या व्यक्तिगत प्रतिशोध से प्रेरित हैं। नोटिस में आगे कहा गया है, “मेरे मुवक्किल किसी भी भ्रष्ट आचरण में शामिल नहीं रहे हैं, जिसमें पार्टी टिकट आवंटन या रिश्वत लेनी जैसी कोई बात सही नहीं है। मेरे मुवक्किल ने अपनी सार्वजनिक और राजनीतिक भूमिकाओं में हमेशा ईमानदारी और पारदर्शिता के उच्चतम मानकों को बरकरार रखा है। आपके आरोप बिना किसी सबूत के लगाए गए हैं और लापरवाही से दिए गए हैं, जबकि आपको पता था कि इससे उनके सम्मान को गंभीर नुकसान होगा।”

नोटिस में कहा गया है कि नवजोत कौर सिद्धू के बयानों की वजह से रंधावा की निजी और सार्वजनिक प्रतिष्ठा को बड़ा नुकसान हुआ है।

उन्हें मानसिक तनाव हुआ, लोगों का भरोसा कम हुआ और समाज में उनका मज़ाक उड़ाया गया। नोटिस में यह भी कहा गया है कि नवजोत कौर सिद्धू की टिप्पणियां जानबूझकर रंधावा को बदनाम करने और उनकी छवि खराब करने के लिए की गई थीं।

यह भी पढ़ें- ‘मुझे आश्चर्य है कि…’, कांग्रेस से सस्पेंड किए जाने के बाद नवजोत कौर सिद्धू का पहला रिएक्शन

नोटिस में कहा गया है कि नवजोत कौर सिद्धू को बिना शर्त सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए। यह माफी उसी मीडिया में प्रमुखता से प्रकाशित की जानी चाहिए, जहां उन्होंने मूल बयान दिए थे। इसके अलावा, नोटिस में उनसे कहा गया है कि वे रंधावा के खिलाफ किसी भी जगह या मंच पर अपमानजनक बयान या आरोप न लगाएं।

इसमें कहा गया है कि सात दिनों के भीतर ऐसा न करने पर रंधावा, नवजोत कौर सिद्धू खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 356 के साथ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 222 के तहत सक्षम न्यायालय में मानहानि की कार्यवाही शुरू कर देंगे। इसमें बटाला और गुरदासपुर के न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत भी शामिल हैं।

यह भी पढ़ें- नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी कांग्रेस से निलंबित, 500 करोड़ के सीएम वाले बयान पर हुई कार्रवाई