केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने गुजरात सरकार की अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को लाभान्वित करने वाली एक योजना पर पुनर्विचार करने को कहा है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने कहा है कि गुजरात सरकार की योजना में राज्य के कमजोर वर्ग के लिए उदासीन रवैया दिखता है, इसलिए उसे फिर से योजना की समीक्षा करनी चाहिए।
दरअसल, गुजरात सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में राज्य में नल-जल योजना से वंचित 10.62 लाख एससी-एसटी परिवारों में से केवल 5.84 फीसदी के घरों में ही नल से जल पहुंचाने की योजना बनाई थी लेकिन केंद्र सरकार ने मात्र 5.84 फीसदी परिवारों को ही लाभान्वित करने पर सवाल खड़े कर दिए और योजना पर फिर से विचार करने को कहा। यह योजना केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के तहत जल जीवन मिशन की है।
जल शक्ति मंत्रालय के तहत मिशन के उच्च पदस्थ अधिकारियों ने गुजरात के वरिष्ठ अधिकारियों को आठ जून को ही इस बावत सूचना दे दी है। केंद्र सरकार के अफसरों ने गुजरात के अधिकारियों से 10 दिनों के अंदर योजना को पुनरीक्षित कर दोबारा पोर्टल पर अपलोड करने को कहा है। ताकि उस पर अंतिम रूप से विचार किया जा सके।
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केंद्र सरकार के अधिकारियों ने राज्य की योजना पर टिप्पणी की कि चालू वित्त वर्ष में 11.15 लाख घरों के कुल लक्ष्य में से केवल 62,043 एससी / एसटी परिवारों को ही फंक्शनल घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) प्रदान करने का राज्य का प्रस्ताव था। वित्तीय वर्ष की शुरुआत में गुजरात में बिना नल कनेक्शन के 26.82 लाख परिवार थे, जिसमें 10.62 लाख एससी / एसटी परिवार शामिल थे।
8 जून को भेजे गए मिनट्स ऑफ मीटिंग में कहा गया है, “राज्य के शेष घरों में से एक तिहाई से अधिक अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के लोग हैं। राज्य ने इस वर्ष केवल 5.84% शेष SC/ST परिवारों को कवर करने का प्रस्ताव दिया है। इन बस्तियों में से आधे से अधिक उन गांवों में रहते हैं, जिनमें एफएचटीसी कवरेज 25% से कम है। राज्य इन क्षेत्रों में कवरेज योजना की समीक्षा कर सकता है। अन्यथा, यह कमजोर वर्गों के प्रति राज्य की उदासीनता दिखाएगा।” दस्तावेज में कहा गया है, “राज्य दावा कर रही है कि वह सितंबर 2022 तक 100% FHTC हासिल कर लेगी लेकिन प्रस्ताव इस जानकारी के अनुरूप नहीं है।”