गुजरात के उप मुख्यमंत्री और भाजपा प्रवक्ता नितिन पटेल ने प्रदेश में गुजरातियों के आईएएस और आईपीएस जैसी सेवाओं में शामिल होने पर जोर दिया है। राजधानी गांधीनगर में पटेल समुदाय के एक कार्यक्रम में डिप्टी सीएम ने कहा, ‘गुजराती अमेरिक तक पहुंच गए मगर दुर्भाग्य से गुजरात सचिवालय में आईएएस, आईपीएस या आईएफएस अधिकारी के रूप में नहीं देखे जाते। कई राज्यों में स्थानीय अधिकारियों को नौकरशाही में प्रमुखता मिलती है मगर हमारे राज्य में बहुत कम गुजराती आईएएस/आईपीएस अधिकारी हैं।’

कार्यक्रम में नितिन पटेल ने कहा कि गुजराती पारंपरिक रूप से बिजनेस स्थापित करने या बेहतर संभावनाओं के लिए विदेशों में प्रवास के लिए अधिक ध्यान केंद्रित करते रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘गुजरातियों ने शायद ही कभी सरकारी नौकरियों में आगे बढ़ने पर जोर दिया हो जैसे अन्य राज्यों के युवा करते हैं। हमारा गुजरात में आईएएस/आईपीएस, रेलवे, बैंकिंग या केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों जैसे ONGC में स्थनीय लोगों का बहुत अधिक प्रतिनिधित्व नहीं है। इसलिए राज्य के सर्वोत्तम हित सुनिश्चित करने के लिए जरुरी है कि गुजराती प्रतियोगी परीक्षाओं को पास करके सरकारी नौकरी में आएं। मैं सचिवालय में गुजराती अधिकारियों की बड़ी तादाद में नेम प्लेट देखना चाहता हूं।’

उल्लेखनीय है कि गुजरातियों ने हाल ही में यूपीएससी परीक्षाओं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने शुरू किया है। साल 2018 की यूपीएससी परीक्षा में राज्य से 18 उम्मीदवारों ने टॉप पॉजिशन हासिल की थी। इसमें एक उम्मीदवार टॉप 100 में रहा था। साल 2017 में गुजरात ने यूपीएससी में अच्छा स्कोर किया और 43 उम्मीदवारों ने परीक्षा पास की। हिंदी अखबार दैनिक भास्कर में छपी खबर के मुताबिक आंकड़ों की बात करें तो गुजरात के कुल 504 नौकरशाहों में से महज 35 फीसदी यानी 179 ही प्रदेश के जबकि उत्तर प्रदेश 54 और बिहार के 49 अधिकारी हैं।

आईएएस स्तर कुल 243 अधिकारियों में गुजरात के 86 और उत्तर प्रदेश के 25 और बिहार के 17 हैं। प्रदेश में कुल 170 आईपीएस हैं जिनमें 72 गुजरात हैं और 17 उत्तर प्रदेश तो बिहार के 20 हैं। प्रदेश में 91 आईएफएस अधिकारी हैं, जिनमें 21 गुजरात और 12 उत्तर प्रदेश और 12 बिहार से और अन्य राज्यों से हैं।