देश में सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर सुधार के तहत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू हुए छह साल पूरे हो चुके हैं और अब 1.5 लाख करोड़ रुपए का मासिक राजस्व एक तरह से सामान्य हो चुका है। हालांकि, कर प्रणाली में धोखाधड़ी के नए तरीके भी आजमाए जा रहे हैं, लेकिन कर अधिकारी उनसे निपटने की कोशिश में लगे हुए हैं।

इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का दावा करने के लिए जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी कंपनियां बनाने वालों की धरपकड़ के लिए जीएसटी अधिकारियों ने डाटा विश्लेषण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआइ) और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करना भी शुरू कर दिया है। जुलाई, 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से अब तक फर्जी तरीकों से करीब तीन लाख करोड़ रुपए की कर चोरी होने का अनुमान है।

इसमें से एक लाख करोड़ रुपए से अधिक कर चोरी पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में ही की गई है। शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआइ) ने कहा कि जीएसटी प्रणाली में सबसे जरूरी सुधार इसके नेटवर्क को उन्नत करने का है, ताकि नकली आपूर्ति और आइटीसी के फर्जी दावों को रोका जा सके।

जीटीआरआइ के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि सिर्फ डाटा विश्लेषण और भौतिक जांच से समस्या पूरी तरह नहीं दूर की जा सकती है। जीएसटीएन को इस तरह उन्नत किया जाए कि आइटीसी दावे में लगाए गए बिलों के साथ आपूर्तिकर्ता द्वारा दी गई सूचना का मिलान किया जा सके। उन्होंने कहा कि छह साल बाद भी जीएसटीएन मूल्य श्रृंखला में आपूर्ति संबंधी जानकारी को नहीं जोड़ पाया है।

इसकी वजह से सरकार को बड़ी राजस्व क्षति हो रही है और ईमानदारी से कारोबार करने वालों को परेशानी उठानी पड़ रही है। इसके अलावा जीएसटी कर की दरों और स्लैब को तर्कसंगत बनाने, पेट्रोल, डीजल और विमान र्इंधन पर जीएसटी लगाने जैसे मुद्दों पर भी अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है।

कर विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी को अधिक समावेशी बनाने के लिए शीर्ष निकाय जीएसटी परिषद इन सुधारों को लागू करे। हालांकि, अगले साल आम चुनावों को देखते हुए इन सुधारों को लागू किए जाने की संभावना कम ही दिख रही है। सलाहकार फर्म नांगिया एंडरसन इंडिया में निदेशक (अप्रत्यक्ष कर) तनुश्री राय ने कहा कि आनलाइन गेमिंग, क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े लेनदेन, ईवी चार्जिंग बुनियादी ढांचे और जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना जैसे मुद्दों पर अभी स्पष्टता आने का इंतजार है।

केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद की सितंबर 2016 में स्थापना के बाद से अब तक 49 बैठकें हो चुकी हैं। यह नीतिगत मुद्दों और जीएसटी दर के बारे में निर्णय लेने वाली शीर्ष संस्था है। देशव्यापी एक समान कर प्रणाली के रूप में जीएसटी एक जुलाई, 2017 को लागू की गई थी।

इसमें उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट और 13 उपकर जैसे 17 स्थानीय शुल्क शामिल थे। जीएसटी लागू होने के छह साल के भीतर मासिक कर राजस्व बढ़ कर 1.5 लाख करोड़ रुपए के पार जा पहुंचा है। अप्रैल 2023 में राजस्व 1.87 लाख करोड़ रुपए के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। वहीं शुरुआती दौर में औसत मासिक राजस्व 85,000-95,000 करोड़ रुपए हुआ करता था। मासिक राजस्व में लगातार वृद्धि के साथ, जीएसटी अधिकारी अब धोखेबाजों को पकड़ने और कर चोरी पर अंकुश लगाने पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।