बढ़ते जल प्रदूषण के साथ भूजल की गुणवत्ता भी लगातार खराब हो रही है। देश के नौ राज्यों में भूजल में भारी प्रदूषण, कई क्षेत्रों में खारापन, नाइट्रेट और भारी धातुएं मानक से ऊपर पाए गए हैं। इसका खुलासा केंद्रीय भूजल बोर्ड की रपट से हुआ है।

रपट के मुताबिक, जून 2024 से मार्च 2025 के बीच पानी में नाइट्रेट, फ्लोराइड, कुल कठोरता, क्रोमियम, मैगनीज, आयरन, निकेल, कोबाल्ट, जिंक, आर्सेनिक, सेलेनियम, कैडमियम, सीसा तथा यूरेनियम जैसे तत्त्व मानक से अधिक पाए गए।

यह समस्या आंध्र प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब, कर्नाटक, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश में पाई गई। इन नौ राज्यों के कुछ क्षेत्रों में लवणता, नाइट्रेट तथा भारी धातुओं से संबंधित मानकों से अधिक मिले हैं। वहीं पूर्वी एवं उत्तर-पूर्वी राज्यों में आयरन, मैगनीज और आर्सेनिक की मात्रा अधिक मिली है।

चिकित्सकों का कहना है कि भू जल में मानक से अधिक धातु के होने से न केवल पेयजल की गुणवत्ता प्रभावित होती है बल्कि लंबे समय में जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हो सकता है। इसमें कैंसर, त्वचा रोग, मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र रोग, गुर्दा खराब, हृदय रोग सहित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होने की आशंका बढ़ जाती है।

यह भी पढ़ें: जल जीवन मिशन पर केंद्र की सीधी नजर, 29 राज्यों की 183 योजनाएं जांच के दायरे में; जमीनी हकीकत परखने को भेजी गईं 100 टीमें

इसके अलावा दूषित भूजल सिंचाई के लिए उपयोग किए जाने पर मिट्टी को प्रदूषित करती है। प्रदूषित मिट्टी में उगने वाली फसलों और पौधों में ये धातु अवशोषित होकर मानव व जानवरों की खाद्य शृंखला में प्रवेश कर सकती हैं। वहीं दूषित पानी जलीय जीवन को भी नुकसान पहुंचा सकती है। इसकी रोकथाम के लिए भूजल बोर्ड राज्यों एवं संबंधित एजंसियों को पाक्षिक जल गुणवत्ता सतर्कता जारी करता है।

सूत्रों का कहना है कि इस चेतावनी के जारी होने से संबंधित राज्य सरकार और एजंसियों को तुरंत जांच के लिए नमूने एकत्रित करना, स्थानीय जल चेतावनी जारी करना, वैकल्पिक पेयजल स्रोतों का प्रावधान करना और तत्काल शमन उपाय के लिए कहा जाता है। ताकि किसी भी संभावित जल-संकट या स्वास्थ्य जोखिम की स्थिति को समय रहते नियंत्रित किया जा सके।

कृषि-प्रधान राज्यों में नाइट्रेट की समस्या उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से जुड़ी मानी जा रही है, जबकि औद्योगिक क्षेत्रों में भारी धातुओं की मौजूदगी प्रदूषण नियंत्रण तंत्र में कमी को दर्शाती है।

पहचाने गए 340 खतरनाक केंद्र

जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने गुरुवार को लोकसभा में बताया कि सीजीडब्ल्यूबी की सालाना भू जल गुणवत्ता रपट 2025 के अनुसार, मानसून से पहले और मानसून के बाद 2024 के दौरान बोर्ड ने 26 राज्यों और केंद्र शासित राज्यों से आर्सेनिक के लिए 3415 भू जल नमूने और लेड के लिए 21 राज्यों व केंद्र शासित राज्यों से 2537 नमूने इकट्ठा करके उनका मूल्यांकन किया। इसमें पता चला कि 3415 में से 123 नमूने (3.6 फीसद) आर्सेनिक के लिए 10 पीपीबी की तय मानक से ज्यादा थे, जबकि 2,537 में से 24 नमूने (0.95 फीसद), लेड के लिए 0.01 एमजी प्रति लीटर की तय मानक से ज्यादा थे।

यह भी पढ़ें: Blog: इजरायल मॉडल से सीखें जल संकट से निजात का तरीका, कम पानी में भी मुमकिन है बेहतरीन मैनेजमेंट