इसके तहत अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों को कार्बन मुक्त करना, वैकल्पिक र्इंधन के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए भारत को एक वैश्विक केंद्र में बदलने का उद्देश्य तय किया गया है। सरकार ने हाल में इस मिशन के लिए 19,744 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी। मिशन के तहत यह उम्मीद की जा रही है कि भारत 2030 तक 50 लाख टन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता का लक्ष्य हासिल कर लेगा। इस मिशन के तहत छह लाख से ज्यादा नौकरियों के अवसर पैदा होने की उम्मीद जताई जा रही है।

क्या है हरित हाइड्रोजन

हरित हाइड्रोजन एक तरह की स्वच्छ ऊर्जा है। इसे नवीकरणीय ऊर्जा की मदद से इलेक्ट्रोलिसिस के जरिए बनाया जाता है और इसे बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह से कार्बन डाई आक्साइड के उत्सर्जन से मुक्त होती है। हाइड्रोजन बनाने के दो तरीके हैं। पहला पानी में से बिजली को गुजारा जाता है, दूसरा प्राकृतिक गैस से हाइड्रोजन और कार्बन को तोड़ कर बनाया जाता है।

इलेक्ट्रोलिसिस में स्वच्छ ऊर्जा इस्तेमाल हुई तो उससे बनने वाली हाइड्रोजन ग्रीन कहलाएगी। जानकारों का कहना है कि यह कच्चे तेल के शोध, खाद, सीमेंट, स्टील और भारी उद्योगों को कार्बन मुक्त करने में मदद कर सकती है। हाइड्रोजन प्राकृतिक तौर पर पाया जाने वाला बेहद आम तत्व है, जो अन्य तत्वों के साथ संयोजन में मौजूद है।

पानी के मामले में नवीकरणीय ऊर्जा (जैसे हवा, पानी या सौर ऊर्जा) का उपयोग करके पानी को हाइड्रोजन और आक्सीजन में विखंडन करके जिस हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाता है, उसे ही हरित हाइड्रोजन कहा जाता है। हरित हाइड्रोजन में पारंपरिक धूसर हाइड्रोजन की तुलना में काफी कम कार्बन उत्सर्जन होता है।

महंगे पेट्रोल-डीजल का विकल्प

हरित ‘हाइड्रोजन मिशन’ से जीवाश्म र्इंधन जैसे कच्चा तेल, कोयला आदि के आयात में एक लाख करोड़ रुपए तक की कमी का अनुमान है। इसके अलावा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में पांच करोड़ टन की कमी आएगी। हरित हाइड्रोजन के उत्पादक और उपभोक्ता को एक ही जगह लाया जाएगा, ताकि ढुलाई खर्च भी न बढ़े। योजना सफल होने पर लोगों को महंगे पेट्रोल और डीजल का विकल्प मिल जाएगा।

फिलहाल भारत में प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन दर काफी कम है और इसने अपने नेट जीरो उत्सर्जन लक्ष्य की सीमा 2070 तक कर दी है और ऐसा माना जा रहा है कि साल 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने में भी ये मदद करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2020 में तीसरे आरई-निवेश सम्मेलन को संबोधित करते हुए एक व्यापक राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन शुरू करने की योजना की बात की थी।

फिलहाल नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय इस क्षेत्र की अगुवाई कर रहा है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के मातहत इंडियन आयल कारपोरेशन कई साल से बायोमीथेन से हाइड्रोजन निर्माण पर शोध कार्य करता आ रहा है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ही गैस पाइपलाइनों की निगरानी करता है, जिसने जरिए हाइड्रोजन या सहायक उत्पादों का वितरण किया जाएगा।

खतरनाक है हरित हाइड्रोजन

हरित हाइड्रोजन के जितने फायदे हैं उतने खतरे भी। इस खतरे को अनदेखा नहीं कर सकते।हरित हाइड्रोजन बेहद ज्वलशील होता है। अगर पेट्रोल-डीजल का टैंक लीक होगा तो वह जमीन पर फैल जाएगा, लेकिन हरित हाइड्रोजन का टैंक लीक हुआ तो इसका अंजाम भयानक हो सकता है। दूसरे, इसकी कीमत एक बड़ी चुनौती बन सकती है। वर्तमान समय में इसकी कीमत 340 से 400 प्रति किलो है। देश में हरित हाइड्रोजन का उत्पादन बढ़ेगा तो 2030 तक इस की कीमत कम हो सकती है।

जिंदगी पर क्या होगा असर

हाइड्रोजन के अनेक उपयोग हैं। हरित हाइड्रोजन का उपयोग उद्योग में किया जा सकता है और घरेलू उपकरणों को बिजली देने के लिए मौजूदा गैस पाइपलाइनों में जमा किया जा सकता है। बिजली का उपयोग करने वाली किसी भी चीज को बिजली देने के लिए हाइड्रोजन का उपयोग र्इंधन के साथ भी किया जा सकता है, जैसे कि इलेक्ट्रिक वाहन और इलेक्ट्रानिक उपकरण।

बैटरी के विपरीत, हाइड्रोजन र्इंधन कोशिकाओं को रिचार्ज करने की आवश्यकता नहीं होती है और जब तक उनके पास हाइड्रोजन र्इंधन होता है, तब तक वे नीचे नहीं जाते हैं। देश में पिछले कुछ समय में आटो, पेट्रोलियम पदार्थों के शोधन और इस्पात जैसे क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन का लाभ उठाने का ठोस प्रयास किया जा रहा है। अप्रैल 2022 में आयल इंडिया लिमिटेड ने जोरहाट में भारत का पहला 99.99 फीसद शुद्ध हरित हाइड्रोजन संयंत्र चालू किया।

भारत सरकार का लक्ष्य 2030 तक 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन का निर्माण करना है। इससे देश की ऊर्जा क्षमता में 125 मेगावाट की बढ़ोतरी होगी। भविष्य में ग्रीन हाइड्रोजन की मांग बढ़ेगी। इस उर्जा का इस्तेमाल भारी वाहन चलाने के लिए किया जाएगा। रेल और उद्योगों में भी इस को उपयोग पर जोर दिया जाएगा। मालवाहक जहाज, कार और लंबी दूरी तक चलने वाले ट्रकों के लिए हरित हाइड्रोजन एक अच्छा विकल्प है। भारत में वर्तमान समय में इस की मांग 67 से 70 लाख टन की है।

क्या कहते हैं जानकार

हमारी असली ताकत भू-भौतिकी और विविधता से भरा औद्योगिक विनिर्माण आधार है। इनमें इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण भी शामिल हैं। सौर ऊर्जा क्षमता की भरमार और हिंद-प्रशांत में हमारी मौजूदगी से एशिया और अफ्रीका में भविष्य की हरित विकास संभावनाओं में भारत केंद्रीय भूमिका में हो सकता है।

  • अंजन रे, निदेशक, इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पेट्रोलियम, देहरादून

सरकार ने हरित हाइड्रोजन के लिए घरेलू मांग जुटाने में मदद की है। सार्वजनिक क्षेत्र के शोधनागारों को 2023-24 से 10 फीसद हरित हाइड्रोजन से जोड़ने के आंतरिक निर्देश दिए गए हैं। इसी तरह खाद उत्पादकों को पांच फीसद हरित हाइड्रोजन से जोड़ने को कहा गया है।

  • भूपेंद्र यादव, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री