जम्मू-कश्मीर सरकार ने विवाद के बाद राजनीति विज्ञान के लेक्चरर जहूर अहमद भट का निलंबन रद्द कर दिया है। उन्हें  अनुच्छेद 370 के मामले में सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के  बाद हटा दिया गया था।  कुछ हफ्ते पहले सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकट रमानी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को निलंबन पर गौर करने को कहा था। CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने भी इस मामले पर बात रखी थी। 

क्यों किया गया था सस्पेंड? 

श्रीनगर के एक सरकारी स्कूल में सीनियर लेक्चरर जहूर अहमद भट को एक अपराधी अधिकारी करार दिया गया था और सरकार के प्रमुख सचिव (स्कूल शिक्षा) आलोक कुमार द्वारा निलंबित कर दिया गया था। 

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ अनुच्छेद 370 में किए गए बदलावों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ के सामने मुद्दा उठाया था कि भट्ट को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने के एक दिन बाद निलंबित कर दिया गया था।

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने क्या कहा? 

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने तब अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा था, “आप देखिए क्या हुआ है, जो कोई भी इस अदालत में पेश होता है उसे निलंबित कर दिया जाता है। इस पर एक नजर डालें, आप बस उपराज्यपाल से बात करें।” मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा कि अगर इसके अलावा कुछ है, तो वह अलग बात है। दरअसल लेक्चरर जफूर अहमद भट्ट ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के तरीके पर सवाल उठाए थे । भट्ट ने इस बात पर जोर दिया कि वो छात्रों को भारतीय संविधान और लोकतंत्र के बारे में बताने में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।

उन्होंने कोर्ट को बताया, ‘जब हम जम्मू-कश्मीर के छात्रों को संविधान के सिद्धांत पढ़ाने के लिए जाते हैं तो यह मेरे जैसे अध्यापक के लिए काफी चुनौतीपूर्ण है। छात्र कई बार बहुत मुश्किल सवाल पूछते हैं। जैसे- 5 अगस्त, 2019 को जो हुआ उसके बाद भी लोकतंत्र है? भट्ट ने कहा, “इस तरह के सवालों के जवाब देना मेरे लिए काफी मुश्किल होता है।”