हाल ही में देश के प्रमुख चिकित्सा संस्थान AIIMS द्वारा आयोजित एक मीटिंग में सामने आया कि एम्स-दिल्ली प्रशासन द्वारा आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना के कार्यान्वयन के रीव्यू के बाद उसमें कुछ कमियां सामने आई हैं।
इन कमियों के तहत कुछ प्रक्रियाओं के लिए प्रत्यारोपण की लागत सरकार के आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा के पैकेज अनुमान से ज्यादा है। साथ ही आयुष्मान भारत के मरीजों के लिए अलग से दवाएं या वस्तुएं खरीदना, जिनका अस्पताल में स्टॉक होना जरूरी नहीं है। कुछ ऐसे टेस्ट भी हैं जिन्हें अप्रूवल की जरूरत होती है, क्योंकि वे न तो अस्पताल में उपलब्ध कराए जाते हैं और न ही पैकेज के अंतर्गत आते हैं।
AIIMS में आयुष्मान भारत योजना के तहत लगभग 19,000 लोगों का इलाज
अधिकारियों के अनुसार, अस्पताल ने 2018 में अपनी शुरुआत के बाद से इस योजना के तहत लगभग 19,000 लोगों का इलाज किया है। यह एम्स-दिल्ली में हर साल भर्ती होने वाले 2 लाख से अधिक मरीजों का एक छोटा सा हिस्सा है।
आयुष्मान भारत के साथ सबसे बड़ा मुद्दा जो सामने आया वह यह था कि कुछ प्रत्यारोपणों की लागत आयुष्मान भारत पैकेज में बताई गयी लागत, यहां तक कि प्रक्रिया की लागत से भी अधिक थी। एम्स-दिल्ली के निदेशक एम श्रीनिवास द्वारा जारी बैठक के विवरण के अनुसार, “पैकेज दरों और उपचार की अनुमानित लागत में बड़े अंतर के कारण लाभार्थी ट्रीटमेंट का फायदा नहीं उठा पा रहे हैं।”
अच्छी क्वालिटी वाले ट्रांसप्लांट के लिए पर्याप्त लागत नहीं
एम्स के एक अधिकारी ने कहा, “वर्तमान में आयुष्मान भारत के लिए दरों की तीसरी लिस्ट का पालन किया जा रहा है। हालांकि, प्रक्रियाओं की दरों में पिछले संस्करणों की तुलना में बढ़ोतरी की गई है, फिर भी ऐसी प्रक्रियाएं हैं जहां लागत अच्छी क्वालिटी वाले ट्रांसप्लांट के लिए पर्याप्त नहीं है।” उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में अस्पताल प्रशासन दूसरी प्रक्रिया जोड़कर नुकसान की भरपाई करता है।”
ऑर्थोपेडिक्स विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि योजना में मेक इंडिया क्लॉज पर चर्चा की जरूरत है, क्योंकि कई इम्प्लांट या प्रोस्थेटिक्स में भारतीय निर्माता नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हम उपलब्ध सबसे अच्छे इंप्लांट का इस्तेमाल करते हैं, जो थोड़ा महंगा हो सकता है।
आयुष्मान भारत में कैसे फिट बैठे मेक इन इंडिया
एम्स के एक अधिकारी ने कहा, “समय-समय पर, आयुष्मान भारत के अधिकारी अपनी आवश्यकताओं को अपग्रेड करने के लिए हमसे संपर्क करते हैं और उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर वे निर्माताओं से कोटेशन मांगते हैं। आयुष्मान लाभार्थियों की पात्रता को भी संशोधित करने की जरूरत है। जब तक वे ऐसा नहीं करेंगे, मरीज़ सबसे अच्छी चीज़ों से वंचित रहेंगे। हमें यह देखना होगा कि मेक इन इंडिया उसमें कैसे फिट बैठता है।”
सरकार के अनुसार, आयुष्मान भारत PM-JAY का लक्ष्य 12 करोड़ से ज्यादा गरीब और कमजोर परिवारों को माध्यमिक और तृतीयक (Secondary and Tertiary) केयर अस्पताल में भर्ती के लिए प्रति परिवार 5 लाख रुपये का वार्षिक स्वास्थ्य कवर प्रदान करना है, जो भारतीय आबादी का निचला 40% हिस्सा है।
एक और समस्या जो सामने आई वह यह थी कि राज्य स्वास्थ्य अधिकारियों ने शॉर्ट नोटिस पर प्री- ऑथोराइजेशन रद्द कर दिया था। डॉक्टरों ने कहा कि इसके कारण या तो अस्पताल और स्वास्थ्य अधिकारियों के बीच लंबी लड़ाई चल रही थी अगर प्रक्रिया पहले ही हो चुकी थी और अगर ऐसा नहीं हुआ था तो मरीज को छुट्टी दे दी गई थी।