केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि वह दलितों द्वारा ब्राह्मण लोगों के छोड़े गए खाने पर लेटकर निकलने वाली प्रथा को बंद करने का आदेश दे दे। हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक यह प्रथा 500 साल पुरानी है। यह प्रथा तमिलनाडु और कर्नाटक के मंदिरों में प्रचलित है। वहां माना जाता है कि इससे दलितों की स्किन की बीमारी ठीक होती है। साथ ही साथ इसे शादी की समस्या, बांझपन से छुटकारा दिलाने वाला भी माना जाता है। इस प्रथा को बंद करने के लिए आवाज सामाजिक न्याय मंत्रालय ने उठाई है। मंत्रालय ने इस अमानवीय और अंधविश्वास से भरा बताया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि इससे लोगों की सेहत को फायदे की जगह नुकसान पहुंचता है। इसे मानव का अपमान करने वाला भी बताया गया है। इस प्रथा में दलित लोग ब्राह्मण द्वारा छोड़ी गई खाने की प्लेट पर लेटकर उसपर से गुजरते हैं। वहीं कर्नाटक और तमिलमाडु के लोग इसके पक्ष में हैं। लोगों को कहना है कि इसे करने के लिए किसी पर दबाव नहीं बनाया जाता। बल्कि लोग इसे अपनी मर्जी से करते हैं।

तमिलनाडु में यह प्रथा हर अप्रैल को ‘अराधना’ त्योहार के दौरान की जाती है। वहीं कर्नाटक में यह नवंबर-दिसबंर के वक्त में की जाती है। कर्नाटक में यह प्रथा करने वाला कार्यक्रम तीन दिनों तक चलता है। मंत्रालय ने कहा कि प्रथा को ढाल बनाकर यह काम अब नहीं करने दिया जाएगा। केंद्र ने दाखिल किए गए अफिडेविट में कहा, ‘यह प्रथा लोग भले ही अपनी मर्जी से करते हों लेकिन इससे उनकी सेहत पर असर होता है और यह मानवीय प्रतिष्ठा के खिलाफ भी है।’