केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने देश की आला खुफिया एजंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रा) से कहा है कि वह रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड से जुड़े घोटालों को देखने वाले पंचाट के स्वाभाविक मध्यस्थ और कंपनी के वकीलों के बीच कथित सांठगांठ की जांच करे। यह न्यायाधिकरण पन्ना ,मुक्ता और ताप्ती (पीएमटी) तेल और गैस क्षेत्र में लागत को लेकर चल रहे विवादों की जांच कर रहा है और 2011 में मामले की सुनवाई शुरू हुई थी।
इस विवाद में एक तरफ सरकार है तो दूसरी ओर निशाने पर रिलांयस इंडिया लिमिटेड (आरआइएल) और ब्रिटिस गैस (बीजी) है। पीएमटी क्षेत्र में आरआइएल और बीजी की तीस फीसद हिस्सेदारी है। सरकारी उपक्रम ओएनजीसी की चालीस फीसद हिस्सेदारी है। दूसरी ओर प्रधान ने इस मामले को सीरियस फ्राड इनवस्टीगेशन (एसएफआइओ) को सौंपने की संभावना तलाशने का आदेश भी दिया है। सरकार का मानना है कि आरआइएल और बीजी ने आयकर मामले चुकाने के मामले में भी गलत दावा किया है।
रॉ और एसएफआइओ को जांच का मामला सौंपने के बारे में फैसला नवंबर में प्रधान और पेट्रोलियम सचिव सौरभ चंद्र और सरकार के वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा के बीच हुई एक बैठक के बाद लिया गया था।
इंडियन एक्सप्रेस को मिले रिकार्ड के अनुसार, ह्यहितों में टकरावह्ण को देखते हुए इंदु मल्होत्रा ने ही मामले की ओर मंत्री का ध्यान दिलाया था। उन्होंने प्रधान को सूचित किया कि पीठासीन पंच क्रिस्टोफर लाउ के संबंध अब भी आरआइएल -बीजी की न्यायवादी फर्म एलेन एंड ओवरी से हैं। 2011 में जब न्यायाधिकरण ने काम की शुरुआत की थी, सिंगापुर के वकील लाउ को दोनों पक्षों ने मध्यस्थ घोषित किया था। तत्कालीन यूपीए सरकार और विवादित आरआइएल-बीजी को लाउ की ओर सूचित किया गया था कि उनकी बेटी न्यायिक फर्म एलन एंड ओवरी की वकील रह चुकी हैं।
बहरहाल लाऊ को तत्कालीन सरकार की ओर से नियुक्त पंच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बीपी जीवन रेड्डी और आरआइएल-बीजी के पंच पीटर लीवर ने लाउ को स्वाभाविक मध्यस्थ चुन लिया। मल्होत्रा ने प्रधान को यह भी बताया कि पीठासीन पंच (लाउ) के आचरण को लेकर रेड्डी आशंकित थे। अक्तूबर 2014 को एक बैठक में इंदु मल्होत्रा ने बताया कि रेड्डी ने उनके सामने यह बात कही थी कि क्रिस्टोेफर लाउ और एलन एंड ओवरी के बीच कोई संबंध है। 4 फरवरी 2014 को रेड्डी ने पंचाट से इस्तीफा दे दिया। वे पंचाट की कार्यप्रणाली से असंतुष्ट थे। हालांकि उन्होंने इस्तीफ के पीछे अपनी सेहत और न्यायाधिकरण की थकाऊ प्रक्रिया को बताया था।
तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी ने उन्हें विधि मंत्रालय भेज दिया और उनकी जगह बी सुदर्शन रेड्डी की नियुक्ति 14 मार्च 2014 को की गई। सूत्रों के अनुसार, प्रधान के साथ अपनी बैठक में इंदु मल्होत्रा ने अपनी जानकारी के अधार पर पंचों की भूमिका पर सवाल उठाया और मामले की गहन जांच को कहा। इसी के बाद प्रधान ने एक गुप्त नोट रॉ के पास भेजकर एलन एंड ओवरी और क्रिस्टोफर लाउ के रिश्तों की जांच करने को कहा। सूत्रों के अनुसार, इसके बाद प्रधान ने 25 नवंबर को अपने मंत्रालय के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी जिसमें पीठासीन मध्यस्थ की तटस्थता को चुनौती दी गई थी।
इस मामले में इंडियन एक्सप्रेस ने 15 जनवरी को आरआइएल , ब्रिटिश गैस, एलन एंड ओवरी और क्रिस्टोफर लाऊ को ई-मेल के जरिए प्रश्नावली भेजकर उनका पक्ष लेना चाहा। लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया। रिलायंस के वकीलों और पंचाट के मध्यस्थ के संबंधों को लेकर उनसे सवाल किए गए थे। इस मामले में न्यायाधीश जीवन रेड्डी ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, मैं प्रेस से बात नहीं करना चाहता।