चीन के साथ सीमा विवाद के बीच केंद्र सरकार ने भारत की सीमा से लगते चीन समेत सभी देशों से सार्वजनिक खरीद पर नियंत्रण लगा दिया है। सामान्य वित्तीय नियम-2017 में संशोधन करते हुए सरकार ने ये प्रतिबंध लगाए हैं। इन देशों का कोई भी फर्म अब सुरक्षा मंजूरी और विशेष समिति के पास पंजीकरण के बाद ही टेंडर भर सकेगी।
गुरुवार (23 जुलाई) को एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि भारत सरकार ने सामान्य वित्तीय नियम, 2017 को संशोधित किया है ताकि उन देशों के बोलीदाताओं पर नियंत्रण लगाया जा सके जिनकी सीमा भारत से लगती हैं। देश की रक्षा और सुरक्षा से जुड़े मामलों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है। व्यय विभाग ने देश की रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने के इरादे से नियम के तहत सार्वजनिक खरीद पर विस्तृत आदेश जारी किया।
आदेश के तहत भारत की सीमा से लगे देशों का कोई भी आपूर्तिकर्ता भारत में सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए वस्तुओं, सेवाओं (परामर्श और गैर-परामर्श समेत) की आपूर्ति के अनुबंध या परियोजना कार्यों (टर्न-की परियोजना समेत) के लिये तभी बोली लगा सकेगा जब वह उचित प्राधिकरण के पास पंजीकृत होगा। इसमें कहा गया है कि पंजीकरण के लिये उचित प्राधिकरण उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा गठित पंजीकरण समिति होगी। इसके लिये विदेश और गृह मंत्रालय से राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी मजूरी अनिवार्य होगा।
आदेश के दायरे में में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों, स्वायत्त निकायों, केंद्रीय लोक उपक्रमों, सार्वजनिक-निजी भागीदारी वाली परियोजनाओं को भी लिया गया है जो सरकार या उसके अंतर्गत आने वाली इकाइयों से वित्तीय समर्थन लेती हैं।
आदेश में कहा गया है कि देश की रक्षा और सुरक्षा में राज्य सरकारों की अहम भूमिका है। इसको देखते हुए भारत सरकार ने राज्य सरकारों और राज्य उपक्रमों आदि द्वारा खरीद के मामले में इस आदेश के क्रियान्वयन को लेकर संविधान के अनुच्छेद 257 (1) का उपयोग करते हुए राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है।
राज्य सरकारों की खरीद के मामले में उचित प्राधिकरण का गठन राज्य करेंगे लेकिन राजनीतिक और सुरक्षा मंजूरी अनिवार्य बनी रहेगी। हालांकि, कुछ मामलों में छूट दी गयी है। इसमें कोविड-19 वैश्विक महामारी की रोकथाम के लिये 31 दिसंबर तक चिकित्सा सामानों की आपूर्ति के लिये खरीद शामिल हैं।
सरकार ने अलग आदेश में उन देशों को पूर्व पंजीकरण से छूट दी है जिन्हें भारत सरकार की तरफ से ऋण सुविधा या विकास संबंधी सहायता उपलब्ध करायी गयी है। आदेश के अनुसार, ‘‘नया प्रावधान सभी निविदाओं पर लागू होगा। जिन निविदाओं को पहले ही आमंत्रित किया जा चुका है या वे पात्रता के मूल्यांकन का पहला चरण पूरा नहीं हुआ, जिन बोलीदाताओं का पंजीकरण नहीं है, उन्हें पात्र नहीं माना जाएगा।’’
अगर यह चरण पूरा हो गया है, निविदा रद्द की जाएगी और नये सिरे से प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह प्रावधान निजी क्षेत्र द्वारा खरीद पर लागू नहीं होता है।
(भाषा इनपुट्स के साथ)