Ananthakrishnan G

केंद्र सरकार ने बुधवार (6 मार्च, 2019) को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद से जुड़े दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी हो गए। साथ ही उसने सरकारी गोपनीयता कानून के तहत उन दो प्रकाशनों के खिलाफ कार्रवाई करने की धमकी दी जिन्होंने चोरी हुए दस्तावेजों के आधार पर अपने प्रकाशनों में राफेल से जुड़ी रिपोर्ट छापीं। सरकार ने सरकारी गोपनीयता कानून के तहत मशहूर वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ भी कार्रवाई करने की धमकी दी। अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने तीन न्यायाधीशों की बैंच, भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस एसके कौल और केएम जोसेफ के सामने यह दलील पेश की।

उन्होंने शुरू में किसी भी प्रकाशन का नाम नहीं लिया, लेकिन बाद में उन्होंने द हिंदू और न्यूज एजेंसी एएनआई पर आरोप लगते हुए कहा कि चोरी हुए दस्तावेज इन्हीं के पास हैं। बता दें कि यह पीठ राफेल सौदे की खरीद को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज करने के शीर्ष अदालत के 14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुर्निवचार के लिए पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरूण शौरी और मशहूर वकील प्रशांत भूषण की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की समीक्षा की मांग की है, जिसमें फ्रांस के साथ भारत के राफेल सौदे में कथित अनियमितताओं की जांच की मांग करने वाली सभी जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया गया।

जानना चाहिए कि 8 फरवरी को द हिंदू ने नवंबर 2015 में “रक्षा मंत्रालय नोट” का हवाला देते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की। रिपोर्ट में कहा गया मंत्रालय ने राफेल सौदे में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा फ्रांसीसी पक्ष के साथ की गई समानांतर बातचीत पर कड़ी आपत्ति जताई। वहीं न्यूज एजेंसी एएनआई ने अतिरिक्त नोटिंग के साथ एक नोट जारी किया। अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा कि चोरी के इस मामले की अभी जांच चल रही है।

बता दें कि द हिंदू प्रकाशन समूह के चेयरमैन एन. राम ने बुधवार को कहा कि राफेल सौदे से जुड़े दस्तावेज जनहित में प्रकाशित किए गए और उन्हें मुहैया करने वाले गुप्त सूत्रों के बारे में ‘द हिंदू’ समाचारपत्र से कोई भी व्यक्ति कोई सूचना नहीं पाएगा। प्रख्यात पत्रकार एन. राम ने कहा कि दस्तावेज प्रकाशित किए गए क्योंकि ब्योरा दबा कर या छिपा कर रखा गया था।