मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस एन आनंद वेंकटेश बेहद चर्चाओं में हैं। हो भी क्यों ना। वो एक के बाद एक करके तीन मंत्रियों पर शिकंजा कस चुके हैं। तमिलनाडु के पूर्व सीएम ओ पनीरसेल्वम की दिक्कतों को भी बढ़ाने में वो कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। लेकिन अब लगता है कि उनके शिकंजे में फंस चुके राजनेताओं के साथ सरकार ने भी पलटवार का मन बना लिया है। DAVC (डायरेक्टरेट ऑफ विजिलेंस एंड एंटी करप्शन) के साथ स्टालिन के मंत्री ने भी जस्टिस को कानून समझाया। उनका कहना था कि अपने ही हाईकोर्ट के फैसले पर जस्टिस इस तरह से रिएक्ट नहीं कर सकते।
जस्टिस एन आनंद वेंकटश की कोर्ट में DAVC और तमिलनाडु सरकार के मंत्री ने उनके उस कदम का विरोध किया जिसके तहत वो स्वतः संज्ञान लेकर एक के बाद एक करके तीन मंत्रियों की परेशानी में इजाफा कर चुके हैं। DAVC का कहना था कि हायर एजुकेशन मिनिस्टर पोनमुडी के केस में जिस तरह से जस्टिस वेंकटेश ने फैसला लिया है वो कानूनी नजरिये से सही नहीं है। पोनमुडी के मामले में कोर्ट बदलने का फैसला मद्रास हाईकोर्ट के तीन जजों की बेंच ने लिया था। उसमें चीफ जस्टिस भी शामिल थे। डायरेक्टरेट का कहना था कि जस्टिस वेंकटेश को पहले हाईकोर्ट की प्रशासनिक विंग को नोटिस देना था। उसके बाद इस मससे से संबद्ध सभी पक्षों की राय भी ली जानी चाहिए थी। लेकिन उन्होंने सीधे ही स्वतः संज्ञान ले लिया।
DAVC के एडवोकेट बोले- ऐसे स्वतः संज्ञान नहीं ले सकते जस्टिस वेंकटेश
DAVC की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा का कहना था कि इस तरह से स्वतः संज्ञान लेना जस्टिस के अधिकार क्षेत्र से बाहर की चीज है। वैसे भी पोनमुडी के केस के खिलाफ सरकार और खुद DAVC अपील दायर करने पर विचार कर रही थी। अपील दायर करने की मियाद अभी भी बाकी है। लेकिन जस्टिस ने उससे पहले ही टिप्पणियां करके मामले को फिर से खुलवा दिया। डायरेक्टरेट का ये भी कहना था कि पोनमुडी के मामले की सुनवाई खुद वेंकटेश नहीं कर सकते। इसे किसी दूसरी बेंच के हवाले किया जाना चाहिए। मिनिस्टर पोनमुडी ने भी इसी तरह की दलीलें दीं।
लूथरा का कहना था कि जस्टिस वेंकटेश ने पोनमुडी के केस में पहले से ही धारणा बना ली थी कि कहीं कुछ गलत तो हुआ है। स्वतः संज्ञान उन दस्तावेजों को देखकर लिया गया जो केस से जुड़ी पार्टियों के पास भी नहीं थे। पोनमुडी की तरफ से पेश वकील ने भी ऐसी ही दलीलें दीं। उनका कहना था कि जस्टिस वेंकटेश उनके मामले में टिप्पणी कर चुके हैं। लिहाजा चीफ जस्टिस इस केस को किसी दूसरी बेंच के हवाले करें। दोनों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस वेंकटेश ने कहा कि वो इस मसले पर विचार करेंगे कि वो खुद पोनमुडी के मामले की सुनवाई करें कि नहीं।
ध्यान रहे कि जस्टिस वेंकटेश के पोनमुडी के साथ मंत्रियों केएसएसआर रामचंद्रन, थंगम थेनारासु के खिलाफ फिर से मामला खुलवा चुके हैं। उन्होंने तमिलनाडु के चीफ मिनिस्टर रह चुके ओ पनीरसेल्वम के मामले को भी खुलवाया है। उनका कहना है कि इन सभी मामलों में पक्षपात हुआ है।