सरकार ने विस्थापित समुदाय के लिए पुनर्वास पैकेज के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए कश्मीरी पंडितों की 10 सदस्यीय समिति गठित करने का प्रस्ताव किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से पिछले माह दिए गए प्रस्ताव के मुताबिक इस समिति में मुथी और पुखरो के प्रवासी शिविरों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

प्रस्तावित समिति में एसके फाउंडेशन (सुनील शकधर), संपूर्ण कश्मीर संगठन (अनूप कौल), आल इंडिया कश्मीर समाज के विजय आइमा, जम्मू एवं कश्मीर विचार मोर्चा के अजय भारती, पनून कश्मीर के अश्वनि चारुंगो, कश्मीर पंडित सभा के केके खोसा, जगती टेनेमेंट्स कमेटी के एसएन पंडित, मुथी कैंप के प्यारे लाल, पुखरो कैंप के दया किशेन और आल इंडिया यूथ कश्मीरी सभा के आरके भट शामिल हैं।

ल्लेखनीय है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने 2014 में काम-काज संभालने के बााद कश्मीरी प्रवासियों के पुनर्वास और वापसी के लिए 500 करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की थी। इस साल के बजट में दिखता है कि कश्मीरी प्रवासिायों के पुनर्वास के लिए आबंटित 580 करोड़ के करीब आधे से ज्यादा धन वित्त वर्ष 2015-16 में प्रयोग नहीं हो सका। केंद्रीय बजट के मुताबिक कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए 2015-16 में कुल 580 करोड़ रुपए आबंटित किए गए थे।

लेकिन संशोधित आंकड़ों में केवल 280 करोड़ रुपए की उपलब्ध कराए गए जबकि करीब 300 करोड़ रुपए शेष बच गए। देश में कश्मीरी प्रवासियों के करीब 62,000 परिवार पंजीकृत हैं जिन्होंने 1990 की शुरुआत में आतंकियों के कारण कश्मीर घाटी छोड़ दी थी। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने पिछले साल नवंबर में अपने कश्मीर दौरे के दौरान राज्य के लिए 80,000 करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की थी। इसमें से 5,263 करोड़ रुपए राज्य के विस्थापित परिवारों की सुरक्षा एवं कल्याण के लिए थे।