बड़े नोटों पर सुगमता के सरकार के दावे प्रधानमंत्री के एलान के पांचवें दिन खोखले साबित हुए। विपक्ष के कई नेताओं के आरोपों को एक तरह से सरकार सही साबित करने में लगी है कि यह फैसला कुछ लोगों के हित में और आम जन के खिलाफ किया गया है।  पेटीएम व क्रेडिट कार्ड आदि के कारोबार में बेहिसाब बढ़ोतरी हो रही है। वहीं रोजाना नकदी पर कारोबार या रोजगार करने वाले रो रहे हैं। नमक-चीनी गायब होने की अफवाह भी इसी तरह की कुव्यवस्था का नतीजा लग रही है। कालेधन से सोने-चांदी की खरीद की खबर पर आभूषणों के थोक बाजार में आयकर विभाग के छापे की खबरों से कारोबारी सहम गए हैं। पुरानी दिल्ली ही नहीं बाकी इलाकों के बड़े बाजारों में भी सन्नाटा पसरा है। रोजमर्रा के सामान जैसे- दूध, सब्जी, फल आदि के कारोबारी भी परेशान हैं। उनको सामान रखने में परेशानी हो रही है। लोग जरूरत से भी कम सामान खरीद रहे हैं। सरकार ने पेट्रोल पंप, सरकारी अस्पताल, दवा की दुकान आदि पर पुराने नोटों लेने की तारीख 14 नवंबर तक बढ़ा दी है, लेकिन उसका लाभ सभी को नहीं मिल पा रहा है।

आजादपुर मंडी के थोक व्यापारी राजेंद्र शर्मा का कहना है कि सरकार के इस फैसले से किसान तबाह हो गया है। आलू और प्याज के थोक मूल्य में तीन रुपए प्रति किलो की गिरावट आई है। कच्ची सब्जियों के खरीदार भी कम हो गए हैं। यहां करीब 25 फीसद नकदी कारोबार होता है, जोकि पूरी तरह से बंद है। दवा की दुकानों पर पहले तो पुराने नोट लिए ही नहीं जा रहे हैं और अगर लिए भी जा रहे हैं तो बचे पैसे वापस नहीं दिए जा रहे हैं। पेट्रोल पंपों पर तो हजार-पांच सौ से कम का पेट्रोल मिल ही नहीं रहा है। सबसे बुरा हाल सीएनजी पंपों का है। गैस लेने वाले अपने सिलेंडर की क्षमता से ज्यादा गैस ले नहीं सकते। पहले तो बची हुई रकम वापस न करने पर उतने मूल्य की पर्ची दी जा रही थी, लेकिन शनिवार को गाजीपुर सीएनजी स्टेशन पर पर्ची देने से भी मना कर दिया गया। स्टेशन कर्मियों का कहना था कि वे या तो क्रेडिट कार्ड से पैसे लेंगे या छोटे नोट। जिन लोगों को दो-दो हजार के नए नोट मिल गए हैं उनकी परेशानी यह है कि उनको कम कीमत का सामान नहीं मिल रहा है। वे या तो ज्यादा पैसों का सामान खरीदें या बाकी पैसे बाद में लेने वापस लें।

व्यापारी नेता राजकुमार भाटिया ने कहा कि इसका सबसे ज्यादा असर छोटे कारोबारियों पर पड़ रहा है। ठेला लगाने वाले अपने ग्राहक को सामान देने से मना करके अपनी साख खत्म करना नहीं चाहते और वह मंडी से सामान भी नहीं खरीद पा रहे हैं। सरकार ने नोटबंदी पर कहा था कि इससे काला धन खत्म होगा और कुछ ही लोग परेशान होंगे, लेकिन असल में काला धन रखने वाले तरह-तरह की तरकीब निकाल चुके हैं और परेशान आम आदमी हो रहा है। बैंकों की लाइन में एक भी खास आदमी नहीं दिख रहा है। लोग काम पर जाने के बजाए अपने पुराने नोट बदलने के लिए सारा दिन बैंकों की लाइन में लगे दिखे। सरकार का दावा था कि हालात दो-तीन दिन में सामान्य हो पाएंगे। शनिवार को बंदी के दिन बैंकों में जिस तरह की भीड़ और अराजकता का माहौल दिखा उसमें तो लगता नहीं कि हालात जल्द सामान्य होंगे। खतरा यह भी है कि जो लोग दो-तीन दिन में हालात सामान्य होने के भरोसे घरों से नहीं निकले हैं, जब वे सड़कों पर आएंगे तो हालात सुधरने के बजाए और खराब होंगे। सरकारी स्तर पर चाहे जो दावे किए जा रहे हों, लेकिन हालात में फिलहाल कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है।

“2000 रुपए के नोट सिर्फ बैंक से मिलेंगे, ATM से नहीं”: SBI चैयरमेन