केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद के विशेष सत्र को बुलाया है। इस दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। हालांकि आधिकारिक तौर पर अभी तक कोई एजेंडा नहीं घोषित किया गया है, लेकिन कई तरह की सियासी अटकलें जरूर लगाई जा रही हैं। इस बीच केंद्र सरकार ने सभी अधिकारियों से इस दौरान दिल्ली में ही रहने को कहा है। जिन अधिकारियों के लिए खास तौर पर आदेश जारी किया गया है, उनमें संयुक्त सचिव, अतिरिक्त सचिव, और सचिव लेवल के अफसर शामिल हैं।

विशेष सत्र का कोई एजेंडा नहीं बताया गया है

मानसून सत्र खत्म होने के द एक महीने से भी कम समय में संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है। इस पांच दिवसीय सत्र के लिए कोई एजेंडा नहीं बताया गया है। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने एक्स पर अपने पोस्ट में कहा, “अमृत काल के बीच संसद में कुछ उपयोगी चर्चा और बहस करने की उम्मीद है।”

मोदी सरकार के कार्यकाल में दूसरी बार बुलाया गया विशेष सत्र

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा नियमित रूप से निर्धारित बजट, मानसून और शीतकालीन सत्र के अलावा यह दूसरा ऐसा विशेष सत्र होगा। पिछली बार संसद ने इस तरह का विशेष सत्र 2017 में आयोजित किया था। लोकसभा और राज्यसभा दोनों की आधी रात की बैठक में सरकार ने वस्तु और सेवा कर लागू किया, इसे आजादी के बाद का सबसे बड़ा अप्रत्यक्ष कर सुधार बताया, जिसने सभी केंद्रीय करों और राज्य करों को एकल कर में बदल दिया।

यह पहली बार था कि कोई विधायी अधिनियम एक विशेष मध्यरात्रि सत्र के एजेंडे में था। पिछले सत्र ऐतिहासिक महत्व की घटनाओं को मनाने के लिए आयोजित किए गए थे।

इससे पहले मध्य रात्रि सत्र भारत की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए पहले 15 अगस्त 1997 को आयोजित किए गए थे। इसके अलावा 9 अगस्त 1992 को भारत छोड़ो आंदोलन की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर; 15 अगस्त 1972 को स्वतंत्रता की रजत जयंती मनाने के लिए; और पहली बार, 14-15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भी ऐसे सत्र आयोजित किये गये थे।