सरकार ने राज्यसभा में हंगामे के कारण बीमा और कोयला क्षेत्र में अटके सुधारों को गति देने के लिए बुधवार को महत्त्वपूर्ण अध्यादेशों को मंजूरी दे दी है। चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में विदेशी निवेश को उदार बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी।
संसद का शीतकालीन सत्र खत्म होने के एक दिन बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की सीमा बढ़ाने के लिए अध्यादेश लाने और कोयला नीलामी के लिए अध्यादेश फिर से जारी करने के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई। चिकित्सा उपकरणों में एफडीआइ नियमों को उदार बनाते हुए सौ फीसद निवेश को भी मंजूरी दी गई। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को यह जानकारी देते हुए बताया कि बीमा क्षेत्र में एफडीआइ सीमा को मौजूदा 26 से बढ़ाकर 49 फीसद करने से 6 से 8 अरब डालर की पूंजी आएगी।
अध्यादेशों को मंजूरी देने से सुधारों को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता और दृढ़ता का पता चलता है। इससे दुनिया और निवेशकों को संदेश जाता है कि भारत अब और इंतजार नहीं कर सकता, चाहे संसद का एक सदन इसके एजंडे पर विचार करने के लिए अनिश्चितकाल तक प्रतीक्षा करता रहे।
जेटली ने कहा कि बीमा संशोधन विधेयक संसद में लंबे समय से लंबित है। विधेयक को संसद की स्थायी समिति और राज्यसभा की प्रवर समिति मंजूरी दे चुकी हैं। राज्यसभा की कार्यवाही लगातार बाधित किए जाने से विधेयक पेश नहीं होने दिया जा रहा है। इसलिए सरकार ने बीमा कानून में संशोधन का अध्यादेश जारी करने के लिए राष्ट्रपति को सिफारिश करने का फैसला किया है। अध्यादेश वैसा ही है जैसी प्रवर समिति ने सिफारिश की है। देश में इस समय 52 बीमा कंपनियां हैं। इनमें 24 जीवन बीमा कारोबार में और 28 साधारण बीमा क्षेत्र में काम कर रही हैं। निजी बीमा क्षेत्र में कुल 35,000 करोड़ रुपए की पूंजी लगी है जिसमें 26 फीसद एफडीआइ सीमा के साथ विदेशी हिस्सेदारी करीब 8700 करोड़ रुपए है।
कोयला क्षेत्र पर फिर से अध्यादेश लाने के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि लोकसभा विधेयक को पारित कर चुकी है। राज्यसभा में इसे चर्चा के लिए नहीं लिया जा सका। बिजली और दूसरे क्षेत्रों के लिए कोयला खानों की नीलामी प्रक्रिया के साथ ही दिशानिर्देशों को भी मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल गई है। अध्यादेश फिर से जारी होने से कोयला खानों के आबंटन की अधूरी प्रक्रिया फिर से शुरू हो सकेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर में 1993 से आबंटित सभी 204 कोयला खानों का आबंटन रद्द कर दिया था। अध्यादेश फिर से जारी होने पर कोयला मंत्रालय पहले चरण में 101 कोयला खानों के आबंटन के अपने फैसले पर आगे बढ़ सकेगा। इसमें 65 खानों का आबंटन नीलामी के जरिए किया जाएगा।
चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में एफडीआइ नीति को उदार बनाने पर जेटली ने कहा कि औषधि क्षेत्र के भीतर ही एक उप-श्रेणी चिकित्सा उपकरणों के लिए बनाई गई है। औषधि क्षेत्र में सौ फीसद एफडीआइ की मंजूरी है। उन्होंने कहा कि अति-विशेषज्ञता के इस दौर में भारत के पास दवाओं और औषधि के क्षेत्र में तो काफी कुछ प्रतिस्पर्धा हासिल है लेकिन चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में यह मुकाम हासिल नहीं हो पाया है। विशेषकर ऐसे उपकरण जिन्हें इलाज के दौरान मानव शरीर में स्थापित किया जाता है।
इससे चिकित्सा औजार व उपकरणों के क्षेत्र में अधिक निवेश आकर्षित करने व घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने में मदद मिलने की उम्मीद है। फिलहाल चिकित्सा उपकरण क्षेत्र फार्मा श्रेणी में आता है। इस पर एफडीआइ सीमा और अनिवार्य रूप से सरकारी मंजूरी जैसी अन्य शर्र्तें लागू होती हैं। फार्मा क्षेत्र में सौ फीसद एफडीआइ की मंजूरी है। नई परियोजनाओं और नए उद्यम के मामले में एफडीआइ की स्वत: मंजूरी का प्रावधान है। लेकिन मौजूदा कंपनियों में निवेश के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआइपीबी) की मंजूरी लेनी होती है।