भारत द्वारा फ्रांस से खरीदे जा रहे राफेल फाइटर जेट की डील पर काफी विवाद हो रहा है। कांग्रेस का आरोप है कि एनडीए सरकार ने यूपीए सरकार के समय की गई राफेल डील के मुकाबले ज्यादा कीमत में यह डील की है। बीते सप्ताह अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार को राफेल डील के मुद्दे पर घेरा था। अब खबर आयी है कि रक्षा मंत्रालय और भारतीय वायुसेना ने एक दस्तावेज तैयार किया है, जिसमें बताया गया है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में राफेल फाइटर जेट की प्रति यूनिट कीमत, यूपीए सरकार के कार्यकाल में खरीदी जा रही प्रति यूनिट कीमत से 59 करोड़ रुपए सस्ती है।
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूपीए सरकार के दौरान राफेल फाइटर जेट, जिसमें हथियार, मेंटिनेंस, सिमुलेटर्स, रिपेयर सपोर्ट और टेक्नीकल असिसटेंट आदि को शामिल करने के बाद प्रति यूनिट की कीमत करीब 1,705 करोड़ रुपए होती। वहीं भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में यह कीमत 1646 करोड़ रुपए तय की गई है। इस तरह एनडीए सरकार ने जहां 36 राफेल फाइटर जेट की डील 59,000 करोड़ रुपए में की है, वहीं यूपीए सरकार इसके लिए 1.69 लाख करोड़ रुपए का भुगतान करती। बता दें कि भारत की सुरक्षा जरुरतों को पूरा करने के लिए मोदी सरकार एक फाइटर जेट की मूल कीमत के ऊपर 9855 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च कर रही है।
गौरतलब है कि सरकार की तरफ से यह दस्तावेज ऐसे समय में सामने आया है, जब कांग्रेस पीएम मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ राफेल डील पर लोकसभा को गुमराह के आरोप में विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने का नोटिस दे चुकी है। इस नोटिस में कांग्रेस का कहना है कि वह पीएम मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के उस तर्क से सहमत नहीं है, जिसमें इन नेताओं ने सुरक्षा कारणों से राफेल डील का खुलासा नहीं करने की बात कही थी। यह नोटिस कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, वीरप्पा मोइली, केवी थॉमस, ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजीव साटव द्वारा लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को सौंपा गया है। कांग्रेस का कहना है कि किसी भी डील की कीमत के बारे में कैग और पब्लिक अकाउंट कमेटी को बताया जाना चाहिए। पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने बताया कि रक्षा सौदों में ऐसा कुछ नहीं होता, जो सरकार को सौदे की कीमत का खुलासा करने से रोके।