जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर जिले के सभी पांच सुपरीटेंडेंट ऑफ पुलिस (एसपी) से कहा गया है कि वे ‘तत्काल’ अपने इलाके के ‘मस्जिदों और उनके मैनेजमेंट’ के बारे में जानकारी दाखिल करें। सीनियर एसएसपी के दफ्तर से 28 जुलाई को जारी लेटर में कहा गया है, ‘कृपया अपने कार्यक्षेत्र में आने वाले मस्जिदों और उनके मैनेजमेंट के बारे में जानकारी संलग्न प्रपत्र के मुताबिक तत्काल दाखिल करें ताकि उसे आगे उच्च अधिकारियों को भेजा जा सके।’
संपर्क किए जाने पर एसएसपी श्रीनगगर हसीब मुगल ने आदेश की पुष्टि की। हालांकि, उन्होंने इसे ‘रूटीन एक्सरसाइज’ बताया। द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘यह पुलिस थानों की बीट बुक अपडेट करने के लिए की जाने वाली नियमित प्रक्रिया भर है। यह निश्चित अंतराल पर यह किया जाता रहता है।’ एसपी के मुताबिक, बस इस ‘लेटर की टाइमिंग’ गलत है, जिसकी वजह से लोग इसके मायने निकाल रहे हैं।
बता दें कि घाटी में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती के बाद उपजे डर और आशंका के माहौल के बीच ताजा आदेश की कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। वहीं, हाल ही में पुलिस को भेजे गए एक वायरलैस मैसेज में अधिकारियों से दंगे जैसी वारदात को काबू करने के लिए उपकरण, हथियार आदि की कमी की जानकारी देने के लिए कहा गया था।
इसके अलावा, रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स श्रीनगर के सीनियर डिविजनल सिक्योरिटी कमिश्नर के दफ्तर की एक कथित चिट्ठी भी सामने आई। इसमें कर्मचारियों से राशन-पानी इकट्ठा करने, परिवार को कश्मीर में न रखने और इमर्जेंसी के हालत में ही छुट्टी लेने की बात कही गई थी। हालांकि, इस मामले पर सफाई देते हुए रेलवे की ओर से कहा गया कि अफसर ऐसे लेटर जारी करने के लिए अधिकृत नहीं है और ऐसा करने से पहले उसने संबंधित अधिकारियों की इजाजत नहीं ली।
हाल ही में बडगाम जिले के एक सीनियर अधिकारी की ओर से तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों को आदेश जारी कर इलाके के सभी प्रमुख मस्जिदों के इमामों की जानकारी मांगी गई थी। हालांकि, प्रशासन ने बाद में कहा कि वे इन इमामों को ड्रग्स विरोधी अभियान में शामिल करना चाहते हैं। उधर, गवर्नर के अडवाइजर के विजय कुमार ने इस मामले पर कहा, ‘अगर कोई डर फैला रहा है या सोशल मीडिया पर अफवाह उड़ा रहा है तो मैं उसका जवाब नहीं दूंगा। यह सही नहीं होगा। मैं सिर्फ इतना पूछना चाहता हूं कि इस अफवाह का सोर्स क्या है?’