नागालैंड के राज्यपाल आरएन रवि और NSCN (I-M) के साथ शांति समझौते को लेकर चल रही बातचीत तकरार में बदलती दिखाई दे रही है। दरअसल NSCN(I-M) ने शांति समझौते पर अपना रुख कड़ा कर दिया है। जब से साल 2015 में नागा फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए थे, तब से पहली बार एनएससीएन चीफ टीएच मुइवा ने कहा है कि नगा झंडा और संविधान पर कोई समझौता नहीं होगा और समझौते में असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में पड़ने वाले पारंपरिक नगा इलाकों का भी एकीकरण किया जाएगा।

एनएससीएन की इस मांग से सरकार और विद्रोही गुट एनएससीएन के बीच चल रही शांति वार्ता बेपटरी हो सकती है। दरअसल सरकार पहले ही कह चुकी है कि असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के किसी भी इलाके को ‘ग्रेटर नागलिम’ में शामिल नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही सरकार अलग संविधान की मांग भी पहले ही ठुकरा चुकी है।

मोदी सरकार ने समझौते का फ्रेमवर्क तैयार किया था और उसे उम्मीद थी कि इस साल NSCN(IM) के साथ शांति समझौते पूरा हो जाएगा। वहीं सुरक्षा से जुड़े एक सूत्र ने बताया है कि NSCN ने यह भी साफ कहा है कि अब वह शांति समझौते में सरकार का पक्ष रख रहे आरएन रवि के साथ कोई बातचीत नहीं करेगी। गौरतलब है कि 2015 में हुए शांति समझौते पर आरएन रवि ने ही हस्ताक्षर किए थे और वह लंबे समय से नगा विद्रोहियों के साथ बातचीत करते आ रहे हैं।

NSCN के नेता इन दिनों खूफिया विभाग के अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए दिल्ली में ही हैं। आरएन रवि भी गुरुवार को दिल्ली आए थे लेकिन बाद में वापस लौट गए।

एनएससीएन नेता टीएच मुइवा ने नागालैंड के लोगों को संबोधित करते हुए दिल्ली से जारी किए गए अपने संदेश में अलग झंडा और संविधान का दावा किया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि मुइवा द्वारा पहले भी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भाषण दिए जाते रहे हैं लेकिन पहली बार उन्होंने सार्वजनिक तौर पर भाषण दिया है।

अपने संदेश में मुइवा ने कहा कि 2015 का समझौता परस्पर सहयोग और साझा संप्रभुत्ता का था। सरकार ने समझौते में नगा संप्रभुत्ता को स्वीकार किया था। नगा भारत के साथ साझा रहेंगे और संप्रभुत्ता शक्ति को साझा करेंगे लेकिन वह भारत के साथ विलय नहीं करेंगे। मुइवा ने कहा हमने कभी अलग झंडा और संविधान सरकार से नहीं मांगा क्योंकि यह हमेशा से ही हमारा स्टैंड रहा है। उन्होंने कहा कि आरएन रवि ने भी उन्हें यही भरोसा दिलाया था।